
दूसरी और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव अरूणा शर्मा द्वारा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए एक नई संविदा नीति जारी की है तथा वेतन वृद्धि का आदेश जारी किया है जिसके विरोध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के समस्त कर्मचारी म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के बैनर तले आंदोलन पर उतर आएं है । महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि यह संविदा नीति नहीं संविदा कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर बनाने की नीति है जिसको कोई भी संविदा कर्मचारी अधिकारी नहीं मानेगा और इसके विरोध में आंदोलन कर संविदा की इस शोषणकारी नीति का विरोध कर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का काम ठप्प किया जायेगा।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि नई संविदा नीति में बिना किसी सूचना के संविदा कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने, मनरेगा कार्यालय द्वारा की गई सेवा समाप्ति की कार्यवाही को न्यायालय में चैंलेंज नहीं करने, समान कार्य समान वेतन की मांग नहीं करने, नियमितीकरण के लिए न्यायालय में वाद नहीं प्रस्तुत करने का उल्लेख किया गया है । इस नीति से ऐसा प्रतीत होता है कि यह देश के संविधान की मूल भावना और लोकतंत्र की भावना के विपरीत इस नीति को बनाया गया है । जिसका विरोध संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ करता है।
वहीं 1 दिसम्बर 15 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संविदा कर्मचारियों के वेतन में 10 प्रतिशत् वेतन वृद्वि का आदेश जारी किया गया है जो कि विसंगति पूर्ण है उसमें कर्मचारियों का वेतन बढ़ा दिया गया है अधिकारियों के वेतन में यह कहकर वृद्वि नहीं की गई है कि वित्तीय स्थिति खराब है । महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा है कि यदि वित्तीय स्थिति खराब है तो नियमित अधिकारियों के डी.ए. में भी कटौती की जाए उनको पूरा क्यों दिया जा रहा है । यदि वित्तीय स्थिति खराब है तो सभी के लिए होनी चाहिए नियमित और संविदा कर्मचारियों में भेद नहीं किया जाना चाहिए । संविदा कर्मचारियों की समस्याएं बहुंत हैं और सरकार सुन नहीं रही है जिसके कारण संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ सोमवार दिनांक 14 दिसम्बर को कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपकर प्रदर्शन करेगें ।