नई दिल्ली। एक जमाने में ऐशोआराम और लक्झरी लाइफ के प्रतीक रहे विजय माल्या को एसबीआई ने जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाला यानी ‘इरादतन चूककर्ता’ घोषित कर दिया है। माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस बैंक का करीब 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुका पाई है। यह विमानन कंपनी लंबे समय से ठप है।
एसबीआई ने माल्या, किंगफिशर एयरलाइंस और उसकी होल्डिंग कंपनी यूनाइटेड ब्रेवरीज को जानबूझकर चूककर्ता घोषित किया है। सूत्रों ने बताया कि मुंबई हाईकोर्ठ ने इस साल अगस्त में माल्या को अपने कानूनी वकीलों के जरिये प्रतिनिधित्व की अनुमति दी थी। उसके बाद एसबीआई ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें कहा गया है कि हाई कोर्ट का आदेश शिकायत निपटान समिति पर रिजर्व बैंक के नियमों का उल्लंघन है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था और एसबीआई से कहा था कि वे इसे एक अपवाद मानते हुए माल्या को समिति के समक्ष अपने वकीलों के जरिये बात रखने का मौका दें। माल्या के वकील इस डिफाल्ट के बारे में माल्या का पक्ष संतोषजनक तरीके से नहीं रख पाए। इसके बाद एसबीआई ने उन्हें विल्फुल डिफाल्टर घोषित कर दिया है।
शराब कारोबारी माल्या ने एसबीआई की अगुवाई में 17 बैंकों के गठजोड़ से 2010 के शुरू में 6,900 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। इससे पहले रिणदाता इस एयरलाइन पर बकाये का दो बार पुनगर्ठन कर चुके थे। एसबीआई ने एयरलाइंस से 1,600 करोड़ रुपये की वसूली करनी है।
इसमें से बैंकयूबी समूह की कंपनियों के गिरवी शेयरों की बिक्री कर सिर्फ 1,100 करोड़ रुपये की ही वसूली वसूल पाए हैं। जिन अन्य बैंकों ने एयरलाइंस को रिण दिया है उनमें पंजाब नेशनल बैंक और आईडीबीआई बैंक :800-800 करोड़ रुपये:, बैंक आफ इंडिया :650 करोड़ रुपये:, बैंक आफ बड़ौदा :550 करोड़ रुपये: तथा सेंट्रल बैंक आफ इंडिया 410 करोड़ रुपये।
इसके अलावा यूको बैंक को कंपनी से 320 करोड़ रुपये, कारपोरेशन बैंक को 310 करोड़ रुपये, स्टेट बैंक आफ मैसूर को 150 करोड़ रुपये, इंडियन ओवरसीज बैंक को 140 करोड़ रुपये, फेडरल बैंक को 90 करोड़ रुपये, पंजाब एंड सिंध बैंक को 60 करोड़ रुपये तथा एक्सिस बैंक को 50 करोड़ रुपये की वसूली करनी है।