मुंबई। यदि दहेज या ऐसे ही किसी मामले में ससुराल पक्ष के लोग विवाहिता को तंग करते हैं तो पति को पत्नी का साथ देना होगा और उसकी सुरक्षा करनी होगी। यदि वो ऐसा नहीं करता तो यह माना जाएगा कि वो भी प्रताड़ित करने वालों के साथ है और सजा का भागीदार होगा। यह आदेश मुंबई हाईकोर्ट ने दहेज हत्या के एक मामले में फैसला सुनाते हुए दिया है।
सोलापुर में हुआ दहेज हत्या का एक मामला न्यायमूर्ति साधना जाधव की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था। यहां के बिबिष्ण खांडेकर और माता-पिता पर बहू को आत्महत्या के लिए उकसाने, सदोष मनुष्य वध और कौटुंबिक हिंसा का आरोप था, जबकि पति ने खुद को निर्दोष बताते हुए तर्क दिया था कि वो मृत महिला को तंग नहीं करता था, केवल उसके घरवाले करते थे, इसलिए उसे दोषमुक्त किया जाए।
क्या है मामला :
पीड़िता का विवाह 3 जून 1987 को हुआ था। दोनों परिवारों के बीच नौ हजार रुपए और दो तोले सोना दहेज में देने पर सहमति बनी थी लेकिन दहेज की पूरी रकम न मिलने के बाद ससुराल वालों ने लड़की को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इसके चलते 1990 में लड़की ने आत्महत्या कर ली। लड़की के घरवालों ने मामले की पुलिस में शिकायत की। सोलापुर न्यायालय में सुनवाई के दौरान आरोपियों को सभी मामलों में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई। इसके खिलाफ खांडेकर परिवार ने हाईकोर्ट में अपील की।