भोपाल। अब तक व्यापमं का अध्यक्ष पॉवरफुल हुआ करता था परंतु अब ऐसा नहीं होगा। व्यापमं को एमपीपीईबी में तब्दील करने के साथ ही नया अधिनियम भी बनकर तैयार हो गया है। केबिनेट की मोहर लगते ही सबकुछ बदल जाएगा।
इसमें सबसे बड़ा संशोधन अध्यक्ष के अधिकारों को पूरी तरह से कम करना है। अध्यक्ष को सिर्फ एचओडी की भूमिका में रखा जाएगा। यह व्यवस्था इसलिए की जा रही है कि अध्यक्ष पर अक्सर आरोप लगते रहे हैं कि अधिकारों को लेकर मनमानी की जाती है। बोर्ड में सिर्फ अध्यक्ष का निर्णय सर्वमान्य माना जाता है। बोर्ड में संचालक मंडल होते हुए भी उसके पास कोई अधिकार नहीं हैं। वहीं एमपीपीईबी का अध्यक्ष किसी रिटायर्ड आईएएस को बनाने की सिफारिश की गई है। इसके पीछे माना गया है कि रिटायर्ड आईएएस के अध्यक्ष होने से उस पर सरकार का सीधे हस्तक्षेप नहीं होगा।
नया ढांचा बनाने में लगे दो साल
जानकारी के अनुसार पीईबी का नया ढांचा पिछले दो साल से तैयार किया जा रहा है। इसके लिए बनाई गई कमेटी ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि बोर्ड होते हुए भी उसे एक्ट के पालन करने में कोई अधिकार नहीं है। लिहाजा अधिनियम की धारा 16 में संशोधन होना चाहिए। पीईबी की सुरक्षा पुख्ता करना, संस्था के अंदर ही विजिलेंस की स्थापना और साइबर क्राइम को लेकर भी नए प्रावधान किए गए हैं।
ईसी के बढ़ेंगे अधिकार
पीईबी के नए ढांचे में कार्यपालक समिति को पॉवरफुल बनाया जाना है। उल्लेखनीय है कि जब से पीईबी का अधिनियम बना है तब से ना नया संचालक मंडल बना है और ना ही निश्चित संख्या में बोर्ड की बैठकें हो रही हैं।
कैबिनेट में तीन बार आया प्रस्ताव
बोर्ड के नए ढांचा का प्रेजेन्टेशन एक बार सभी मंत्रियों के समक्ष किया जा चुका है तथा तीन बार केबिनेट में भी लाया जा चुका है लेकिन कुछ अड़चनों के कारण अधिनियम को लटका दिया गया है।
इनपुट: पुष्पेन्द्र सिंह, पत्रकार, भोपाल