भोपाल। जनता पर भारी भरकम टैक्स लगाकर वसूले गए 110 करोड़ रुपए भ्रष्ट अफसर गप कर गए, जांच में दोष सिद्ध भी हो गया, फिर भी सरकार चुप है। खजाने से चुराए गए 110 करोड़ वापस वसूली नहीं की जा रही।
भ्रष्टाचार के यह गंभीर मामले लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा और विद्युत यांत्रिकी से संबंधित हैं। इनके द्वारा सड़क, भवन, जलाशय समेत अन्य कार्यों में व्यापक अनियमितता की गई है।
राज्य शासन के पास पहुंची शिकायतों के बाद जीएडी ने इसकी जांच सीटीई (मुख्य तकनीकी परीक्षक, सतर्कता) से कराई है, जिसमें यह भ्रष्टाचार प्रमाणित हुआ है। सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के मामलों में न सिर्फ वसूली के आदेश जारी किए गए हैं बल्कि ऐसे लोगों को जेल की सलाखों तक पहुंचाने के लिए भी समय समय पर निर्देश जारी किए जाते हैं। इसके बावजूद अफसरशाही की मेहरबानी सरकारी खजाने को नुक्सान पहुंचा रही है।
वसूली में ऐसे बरती जाती है लापरवाही
राष्ट्रीय राजमार्ग की 15 किलोमीटर सड़क निर्माण के मामले में सीटीई ने जांच के बाद पाया की इसमें अनियमितता की गई है। इसमें मुख्य अभियंता को जानकारी भेजकर कहा गया कि भ्रष्टाचार करने वाले अधीक्षण यंत्री से वसूली की जाए। मुख्य अभियंता ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा यह हुआ कि अधीक्षण यंत्री सेवानिवृत्त हो गए। इनके द्वारा डामर और अन्य कामों में व्यापक अनियमितता की गई थी।
इसी तरह का एक अन्य मामला ब्यावरा से संबंधित है। इसमें भी सड़क मरम्मत के काम में व्यापक गड़बड़ी पाई गई। इस मामले को भी मुख्य अभियंता के पास भेजा गया पर उनका अभिमत संतोषजनक नहीं मिला और केस को उनके द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया।
सचिव स्तर के वरिष्ठ अफसरों के पास पेंडिंग केस
रीवा जिले के चाकघाट में 1992-93 में सड़क रखरखाव के लिए स्वीकृत 15 लाख के विरुद्ध 64.23 लाख रुपए खर्च कर दिए गए। इसका भुगतान हो गया। मार्ग की हालत जस की तस रही। दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई।
जबलपुर रेलवे ओवर ब्रिज से गढ़ा पहुंच मार्ग के निर्माण में ठेकेदार द्वारा किए गए काम के बाद उस पर 3 करोड़ 85 लाख की रिकवरी निकली है। कलेक्टर जबलपुर वसूली नहीं करा पा रहे हैं।
राजधानी में हबीबगंज क्रासिंग से चेतक ब्रिज तक मिट्टी, मुरम, के काम में गड़बड़ी प्रमाणित हो चुकी है। आवास एवं पर्यावरण विभाग इस मामले में प्रस्ताव मिलने के बाद भी कार्यवाही नहीं कर रहा है।
राजधानी परियोजना के अधीक्षण यंत्री पर टीटीनगर स्टेडियम के निर्माण में अनियमितता का मामला सामने आ चुका है। इस मामले में कार्रवाई के लिए प्रकरण आवास एवं पर्यावरण विभाग के पास पेंडिंग है।
ग्वालियर में जल संसाधन विभाग द्वारा स्वर्ण रेखा नदी की जल गुणवत्ता परियोजना के लिए कराए गए काम में भ्रष्टाचार हुआ है। यहां जल संसाधन विभाग द्वारा 32 करोड़ और पीएचई विभाग द्वारा 23 करोड़ रुपए खर्च किए जाने के बावजूद नदी में नालियों का प्रदूषित जल छोड़ा जा रहा है। इसके बाद पीएचई ने 458 लाख रुपए की सीवर लाइन बिछाने का एक नया काम किया है, जिसमें भी गड़बड़ी है। इस गंभीर मामले को अनदेखा किया जा रहा है।
- इनपुट: बृजेन्द्र मिश्रा, पत्रकार, प्रदेश टुडे, भोपाल