भोपाल। मप्र की निशातपुरा कोच फैक्ट्री से बनकर निकला यह पहला लक्झरी कोच भोपाल एक्सप्रेस में नहीं लगेगा बल्कि यह मप्र संपर्क क्रांति में लग सकता है जो सप्ताह में तीन दिन जबलपुर से चलती है।
शुक्रवार को हुए मॉडल रैक के ट्रायल के बाद इसे जबलपुर से नई दिल्ली के बीच सप्ताह में तीन दिन चलने वाली संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में लगाने की सुगबुगाहट तेज हो गई। हालांकि रेलवे के अफसरों का कहना है कि अब तक यह तय नहीं हुआ है कि रैक को किस गाड़ी में लगाया जाएगा।
भोपाल एक्सप्रेस को मॉडल रैक देने के संबंध में मेंबर मैकेनिकल के सिफारिशी पत्र की कॉपी वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के जोनल कार्यकारी अध्यक्ष रवि जायसवाल ने उपलब्ध करवाई है। यह पत्र 17 सितंबर 2012 को कोच फैक्ट्री के निरीक्षण के बाद एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मैकेनिकल इंजीनियर कोचिंग को लिखा गया था। इसी पत्र उन्होंने मेंटेनेंस सहित रैक में लगे सामान की सुरक्षा को देखते हुए उसे भोपाल एक्सप्रेस में लगाने संबंधी कई तर्क भी दिए थे।
प्रस्ताव का विरोध
यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ने चीफ मैकेनिकल इंजीनियर पर आरोप लगाया है कि भोपाल के यात्रियों को नई सुविधा से वंचित करना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेजकर रैक को जबलपुर से चलाने की परमिशन मांगी है। यूनियन का तर्क है कि मॉडल रैक भोपाल से चलने वाली ट्रेन में लगाने से कोच फैक्ट्री के कर्मचारी तत्काल उसका मेंटेनेंस कर सकेंगे।
इसलिए खास है निशातपुरा के ये कोच..
1. कॉलबैल और एनाउंसमेंट सिस्टम :
कोच में व्हिस्ल और एनाउंसमेंट सिस्टम। यात्री कॉलबैल बजाकर मदद मांग सकेंगे। एनाउंसमेंट सिस्टम से आने वाले स्टेशनों की जानकारी यात्रियों को दी जाएगी। इसी तरह अगले स्टेशन आदि की जानकारी के लिए डिस्प्ले बोर्ड लगे हैं।
2. पढ़ने के लिए एलईडी लाइट :
हर बर्थ पर पढ़ने के लिए नए डिजाइन के एलईडी लाइट लगाए गए हैं। इससे यात्री अपनी बुक, मैग्जीन, न्यूजपेपर पर फोकस कर सकते हैं। दूसरे यात्रियों को असुविधा नहीं होगी।
3. अपर बर्थ की ऊंचाई कम :
अपर बर्थ की ऊंचाई साइड अपर बर्थ की तरह कर दी गई है। वरिष्ठ नागिरकों को अपर बर्थ में चढ़ने में परेशानी नहीं होगी। सीढ़ियां नई तरीकों से बनाई।
4. टॉयलेट में बेहतर सुविधाएं :
टॅायलेट में सोप स्टैंड, वाॅशबेसिन को अच्छे ढंग से फिट कर जगह का उपयोग करने की कोशिश की गई है।
5. बड़े एग्जास्ट फैन :
बड़े आकार के फैन। रेग्युलेटर भी लगे। यात्रियों को इनसे खासी सुविधा मिल सकेगी।
6. स्क्रूलैस हैं कोच:
सभी कोच में स्क्रू नहीं दिख रहे हैं। थर्मो प्लास्टिक सीट्स की फिटिंग इस तरह की गई है कि उनमें स्क्रू नहीं दिखते।