भोपाल। मप्र में अफसर जो ना करें वही कम है। उमा भारती के जिले टीकमगढ़ के ओरछा में आदिवासियों को विस्थापन के बदले 2400 रुपए मुआवजा दिया जा रहा है। जरा बताइए, इतने पैसे में कोई अपना सामान भी शिफ्ट कर पाएगा। ये पूरा घर छोड़कर जाने के लिए कह रहे हैं। वहीं इस गांव में दूसरी जाति के लोगों को 32 लाख रुपए मुआवजा दिया जा रहा है।
रामराजा सरकार की नगरी ओरछा के वन्य परिक्षेत्र में आने बाले ग्राम लोटना के आदिवासी एवं दलित जाती के लोग गहरे सदमें में हैं। उसका कारण यह की 1998 से चल रहे ग्राम विस्थापन के लिए वन विभाग द्वारा जो सूची जारी की गयी है उसमे उन लोगों को जो मुआवजा दिया जा रहा है वो अन्य जातियों की तुलना में बेहद कम है ।
कई लोगों के लिए तो मुआवजे के रकम महज 2450 rs है जबकि इस राशि से अधिक की तो उनके द्वारा इस रकम को पाने हेतु फ़ोटो कॉपी कराई जा चुकी है ।
जबकि उसी ग्राम के अन्य लोगों को 8 लाख से लेकर 35 लाख तक मुआवजा दिया जा रहा है। विसंगति केवल मुआवजे में ही नहीं उस सूची में भी है जिसमे परिवार के एक सदस्य को गाव का वासी माना जा रहा है जबकि दूसरे को नहीं ।
ग्राम वासियों ने मुआवजे की रकम निर्धारण में लाखों रूपये के लेनदेन और भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया है।
ग्राम में जनसम्पर्क के लिए पहुंचे भाजपा नेता सुमित ओरछा को ग्रामवासियों ने अपनी पीड़ा रो रो कर सुनाई जिसे उन्होंने तुरंत क्षेत्रीय विधायक एवं प्रशासन को अवगत करा दिया। भाजपा नेता सुमित ओरछा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल जाकर मंगलवार को मुख्यमंत्री जी से भेंट करेगा।