कैबिनेट में गुपचुप पास हो गया पब्लिक की जेब काटने वाला प्रस्ताव

भोपाल। मप्र की कैबिनेट मीटिंग में कल एक ऐसा प्रस्ताव पास हो गया जिसके बारे में केबीनेट मिनिस्टर्स को कुछ भी मालूम नहीं। वित्तमंत्री ने प्रस्ताव के बारे में एक लाइन बताई, सीएम ने सारे सवाल चुप कराए और प्रस्ताव पास हो गया। शायद इसलिए भी क्योंकि इस प्रस्ताव का नुक्सान सिर्फ जनता को होने वाला है।

क्या हुआ मीटिंग में
बैठक में वित्त मंत्री जयंत मलैया ने प्रजेंटेशन में सिर्फ इतना बताया कि वैट अधिनियम 2002 में धारा 9 क में 'क' नामक संशोधन को जोड़ा जा रहा है। कैबिनेट में कुछ मंत्रियों ने पूछा कि आखिर यह बदलाव क्यों किया जा रहा है, तो उन्हें केवल इतना बताया गया कि अभी टैक्स कीमत पर लिया जा रहा है। इस धारा के अस्तित्व में आने के बाद उत्पाद की मात्रा पर टैक्स लगाया जा सकेगा।
इस बीच चर्चा में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने हस्तक्षेप किया और प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए कहा कि दूसरे राज्यों में भी इसी तरह का प्रावधान है। कैबिनेट के अधिकांश सदस्यों को यह समझ नहीं आया कि आखिर इस धारा से किस वस्तु की मात्रा पर टैक्स वसूला जाएगा।

मंत्रियों ने बाहर निकलकर क्या बताया
सरताज सिंह - कैबिनेट में विस्तार से नहीं बताया गया कि आखिर वैट अधिनियम में क्या बदलाव किया जा रहा है। ऐसे में मैं क्या बताऊं कि किस पर टैक्स लगाया जाएगा।
कुसुम महदेले- कैबिनेट में प्रस्ताव तो मंजूर हुआ है, लेकिन इसका असर क्या होगा मुझे नहीं पता। आप वित्त मंत्री मलैया से बात करें तो बेहतर होगा।
भूपेन्द्र सिंह - वैट अधिनियम में बदलाव तो हुआ है, लेकिन मुझे उसकी पूरी जानकारी नहीं है कि यह वैट किस वस्तु पर लगेगा।
माया सिंह - कैबिनेट इस अध्यादेश के प्रस्ताव को किस लिए मंजूरी दी गई है। यह आपको वित्त मंत्री जयंत मलैया या फिर सरकारी प्रवक्ता डॉ. नरोत्तम मिश्रा ही बताएंगे।
दीपक जोशी- कैबिनेट में वैट का प्रस्ताव मंजूर हुआ है। इसमें पैसों पर टैक्स की जगह वस्तु की मात्रा पर टैक्स लगाने की बात बताई गई है। आप वाणिज्यिककर विभाग की अनुसूची में जाकर धारा देख लीजिए ,पता चल जाएगा कि किस वस्तु पर टैक्स लगना है।

क्या है प्रस्ताव
वेट अधिनियम 2002 में बदलाव कर धारा 9 क में 'क" जोड़ी जा रही है। अध्यादेश के मंजूर होने के बाद राज्य सरकार पेट्रोल-डीजल के मूल्य पर प्रतिशत में टैक्स लगाने की बजाए, उसकी मात्रा यानि प्रति लीटर के हिसाब से टैक्स लगा सकेगी। यह विकल्प सरकार के पास सुरक्षित है कि वो मूल्य पर टैक्स लगाएगी या मात्रा पर।

क्या होगा असर
इसका असर ये होगा कि जब भी पेट्रोल-डीजल की कीमत जब कम होगी तो सरकार के खजाने पर कोई नुकसान नहीं होगा, क्योंकि वो मात्रा पर फिक्स रकम का टैक्स लगा देती। जैसे एक लीटर पर 30 रुपए टैक्स और जब पेट्रोल के दाम बढ़ जाएंगे तो मूल्य पर टैक्स लगा देगी, जैसे 100 रुपए का पर 30 प्रतिशत। दोनों सूरतों में सरकार को फायदा होगा और जनता को नुक्सान। पेट्रोल के दाम घटने पर उसे फायदा नहीं होगा, दाम बढ़ने पर नुक्सान बढ़ जाएगा। 
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