अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ सूरत में दर्ज एफआईआर को खारिज करने से इनकार करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्ट्या देशद्रोह का मामला बनता है। हालांकि अदालत ने रिपोर्ट से IPC की धारा 153 (ए) (दो समुदायों के बीच शत्रुता पैदा करना) को हटाने के आदेश दिए हैं।
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या हार्दिक के खिलाफ देशद्रोह का मामला बनता है क्योंकि उन्होंने एक युवक को सलाह दी थी कि वह पुलिसकर्मियों को जान से मार डाले। कोर्ट ने यह फैसला आरोपी के पिता भरत पटेल की उस याचिका पर सुनाया, जिसमें उन्होंने हार्दिक के खिलाफ दर्ज देशद्रोह की एफआईआर को रद्द करने का अनुरोध किया था।
शांतिपूर्वक आंदोलन के रास्ते खुले हैं
कोर्ट ने कहा, ‘किसी व्यक्ति को हिंसा करने के लिए कहना और समाज में शांति भंग करना देशद्रोह है।’ देशद्रोह के आरोप को हटाने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘जांच जारी है और जांच के अंत में तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगी।’ साथ ही यह भी कहा, ‘पाटीदारों (पटेलों) के लिए शांतिपूर्ण तरीकों से आरक्षण की मांग के रास्ते खुले हैं लेकिन सार्वजनिक शांति को खतरे में डालने का कोई भी कृत्य स्वीकार्य नहीं है।’
कोर्ट ने बताई वजह
FIR से आईपीसी की धारा 153 (ए) को हटाए जाने का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा कि हार्दिक का बयान दो समुदायों के बीच शत्रुता नहीं भड़काता क्योंकि यह बयान पुलिस के खिलाफ था। बता दें कि हार्दिक फिलहाल क्राइम ब्रांच की हिरासत में हैं। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके एफआईआर रद्द करने की मांग की थी।