नई दिल्ली। रेल विभाग में वन रैक वन पैशन लागू करवाने के लिए रेल कर्मचारियों ने कमर कस ली है। वो शीघ्र ही एक बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
पीएम मोदी को लिखा पत्र
अपने तर्क में रेलवे यूनियनों का कहना है कि उनका काम भी खतरनाक, जोखिम भरा होने के साथ साथ जटिल भी है। रेलवे के 13 लाख कर्मचारियों में से 90 प्रतिशत से ज्यादा का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवे मैन ने प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी, वित्त मंत्री अरूण जेटली और रेल मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र लिखकर सेना के समान रेलवे में भी वन रैक वन पेशन लागू करने की मांग की है।
सैन्यकर्मियों की तरह है काम
अपने दावे का मजबूत करने के लिए नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमेन ने न्यायमूर्ति एचआर खन्ना रेलवे सुरक्षा समीक्षा समिति की सिफारिशों का हवाला दिया है। इस रिपोर्ट में रेलवे में काम करने को सेना में काम करने के बराबर मानते हुए रेलवे को अन्य सरकारी संस्थाओं से अलग मानने की सलाह दी गई है।
गिनाई अपनी समस्याएं
नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमेन ने प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी को पत्र लिखकर रेलवे में 2004 में लागू की गई पेशन योजना को निरस्त कर वन रैक वन पेंशन लागू करने की मांग की है। एनएफआईआर ने प्रधानमंत्री को लिखें पत्र में कहा है कि रेलवे कर्मचारी 8,000 से ज्यादा रेल्वे स्टेशनों पर काम करते हैं जिसके ट्रैक की लंबाई 65,000 किलोमीटर से ज्यादा है।
यूनियन ने कहा है कि इसमें काम करने वाले कर्मचारी दूरस्थ, नक्सल प्रभावित और बेहद खतरनाक मौसम से प्रभावित क्षेत्रों में काम करते है। इन क्षेत्रों में कर्मचारियों को कोई भी आधारभूत सुविधाए भी उपलब्ध नहीं होती है। जिसके कारण हर साल 1000 के करीब रेलवे कर्मचारी मर जाते है और 3000 के करीब गंभीर रूप से घायल होते है। रेलवे यूनियन का कहना है कि वन रैक वन पेंशन रेलवे में लागू होने से 13 लाख कर्मचारियों और 15 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लाभ होगा।
बड़े आदोंलन की तैयारी में रेलवे युनियन
रेलवे यूनियन के एक बड़े पदाधिकारी की माने तो सरकार की और से सकारात्मक संकेत न मिलने पर रेलवे के सभी यूनियन एक बड़ा आदोलन कर सकते है। हालाकि यह कब होगा इसकी तारीख अभी तय नहीं है लेकिन इस बात की संभावना जताई जा रही है कि नए साल की शुरूआत में रेलवे यूनियन आंदोलन या पहिया जाम करने की योजना बना सकती है।