औचक हमले के प्रहार से मौत हत्या नहीं: हाईकोर्ट

नई दिल्‍ली। दो शराबियों में अचानक झगड़ा हुआ। इस झगड़े के चलते एक आरोपी ने दूसरे पर चाकू से हमला कर दिया, परंतु आरोपी को यह अंदाजा नहीं था कि इस वार से उसकी मौत हो जाएगी। ऐसे में इसे हत्‍या का मामला नहीं कहा जा सकता। यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाए आरोपी शंभू शाह को राहत दे दी है।

हाईकोर्ट ने उसे हत्या की बजाय गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी करार दिया है और उसके द्वारा जेल में बिताए गए छह साल व पांच महीनों को पर्याप्त सजा माना है। इसलिए उसे रिहा करने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व न्यायमूर्ति आरके गाबा की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में पीड़ित भरत चौधरी पर चाकू से वार आरोपी के भतीजे ने किया था। पूरा मामला एकदम से हुए झगड़े का नतीजा था। इसलिए आरोपी का इरादा भरत को मारने का नहीं था। उसका जेल में व्यवहार संतोषजनक रहा है। इसलिए उसकी अपील आंशिक तौर पर स्वीकार की जा रही है। इस मामले में आरोपी का भतीजा सरोज फरार है और उसे भगौड़ा करार दिया जा चुका है।

पुलिस के अनुसार मामले में घटना 17-18 अप्रैल 2009 की है। आरोपी शंभू शाह, उसका भतीजा सरोज व पीड़ित भरत चौधरी शराब पी रहे थे। अचानक उनके बीच झगड़ा हुआ और आरोपी भरत को गली में ले गए। जहां पर सरोज ने उस पर चाकू से वार कर दिया। यह मामला भरत की पत्नी की शिकायत पर दर्ज हुआ था। इस मामले में निचली अदालत ने आरोपी शंभू शाह को हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए पांच दिसंबर 2012 को उम्रकैद की सजा दी थी। जिसे उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

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