अध्यापक संवर्ग: वहां पद रिक्त हैं, यहां प्रमोशन नहीं कर रहे

Narendra Neware। अध्यापक संवर्ग में पदोन्नति के नियम में बहुत विसंगतियां व अपूर्णता है। पदोन्नति हेतु फीडर केडर के धारित पद पर 7 वर्ष की न्यूनतम सेवा पूर्ण करना आवश्यक है।इसके कारण 1998_99 में शि.क. 3 के पद पर नियुक्त अध्यापक जिन्हें 14_15 वर्ष की लंबी अवधि के बाद अध्यापक पद पर 2012 में पहली पदोन्नति मिली थी वे वरिष्ठ अध्यापक की पदोन्नति हेतु आवश्यक शैक्षणिक योग्यता रखने के बाद भी पदोन्नति से वंचित हो रहे है जबकि वरिष्ठता सूचि में उनसे ऊपर के अध्यापकों को लेने के बाद भी वरिष्ठ अध्यापकों के पदोन्नति हेतु पद रिक्त रह रहे है।

यदि यह स्पष्ट हो जाए की दूसरी पदोन्नति के लिये न्यूनतम सेवा पूर्ण करना आवश्यक नही है तथा पद रिक्त होने पर वरिष्ठता के क्रम में पदोन्नति दी जाए तो   पूरे प्रदेश में बहुत से अध्यापक, वरिष्ठ अध्यापक के पद पर दूसरी पदोन्नति प्राप्त कर सकते है। इससे पहली पदोन्नति में हुए विलम्ब की क्षतिपूर्ति हो सकती है। वैसे भी नियमित शिक्षक सवर्ग व अन्य लोकसेवकों के मामले में दूसरी पदोन्नति के लिये न्यूनतम सेवा पूर्ण करने का बंधन नही है।

अधिकारियो से वार्ता के दौरान ये बात रखने पर कुछ हल निकल सकता है तथा पूरे प्रदेश के बहुत से पदोन्नत अध्यापको को दूसरी पदोन्नति का लाभ मिल सकता है।
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