सरकार के माथे पर शिकन ही हमारी सफलता है: आजाद अध्यापक संघ

जावेद खान। आजाद अध्यापक संघ की निष्ठा पर रणनीति पर वे लोग प्रश्न खड़े कर रहे है जो कि कई वर्षो से अध्यापको की राजनीति करने की महत्वाकांक्षा पाले बैठे थे। कुछ अध्यापक इनमें एसे भी है जो कि किसी न किसी प्रभार पर रहते हुए आन्दोलन से बचने के कयास लगाते रहते है ताकि उनकी चमचागिरी एवं आय बनी रहे। आजाद अध्यापक संघ अपने लक्ष्य के प्रति पूरे उत्साह और जीवटता के साथ आन्दोलित है।

प्रदेश में जिन परिस्थितियों में अध्यापकों को संगठित कर सरकार को चिंतन पर मजबूर किया गया यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। जो लोग आन्दोलन की सफलता को अनअपेक्षित बता रहे है दरअसल उनके लिए ही यह अचम्भित कर देने वाला आन्दोलन है एवं वे सर खुजाल रहे है कि यह चमत्कार कैसे हो गया।

यह कहना कि कोई भी संघ इस समय झण्डा उठाता तो अध्यापक उनके साथ हो जाते कितना सही है यह तो वे आरोप लगाने वाले ही जानते जो कभी आन्दोलन करने की सोच भी नही पाए।

प्रांतिय महासचिव मोहम्मद जावेद खान ने बताया कि आजाद अध्यापक संघ अब संयुक्त मोर्चा के साथ आगे बढ़ रहा है और सभी संघो की सहभागिता इसमें निर्णायक है। एसे में कतिपय स्वयंभू अध्यापकहितेषी यह प्रयास करने में लगे कि मोर्चा की एकता में ठीक उसी प्रकार दरार डाली जाए जो कि पूर्व में पाटीदार के समय डाली गई थी। सरकार के दलालों को यह बात हजम नही हो पा रही है कि अल्प समय आजाद अध्यापक संघ ने अध्यापकों को न केवल जाग्रत किया है बल्कि हर पदाधिकारी की कर्मठता और नीजी स्वार्थ को त्यागकर कार्य करने की शैली के चलते आम अध्यापकों का विश्वास हासिल किया है और आगे भी संगठन अपने कुशल रणनीतिकारों के साथ आन्दोलन को निर्णायक बनाने में जुटा है। कुछ लोग सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह कर रहे है लेकिन उनके अध्यापक क्या हाल कर रहे है यह उनकी सोशल साईट पर जाकर देखा जा सकता है।

लेखक श्री जावेद खान आजाद अध्यापक संघ के प्रांतीय महासचिव हैं एवं उन्होंने यह खुला खत भोपाल समाचार में प्रकाशित एक समीक्षा की प्रतिक्रिया स्वरूप लिखा है। वह समीक्षा जिसके प्रतिउत्तर में यह खुलाखत लिखा गया पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें।
छोटी छोटी बातों में उलझ रहा है आजाद अध्यापक संघ

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