गुना। हाईकोर्ट ने मप्र शासन को निर्देशित किया है कि जमीन गोलमाल मामले में अरोपी पूर्व कलेक्टर मुकेशचंद शर्मा के खिलाफ अभियान की अनुमति प्रदान करे। इस आदेश के साथ ही तत्कालीन कलेक्टर के खिलाफ एफआईआर के रास्ते साफ हो गए हैं।
विक्रय निषेध जमीन को बेचने की अनुमति देने के मामले में पूर्व कलेक्टर मुकेशचंद गुप्ता की मुश्किलें बढ़ रही है। इस मामले में शिकायतकर्ता की याचिका पर हाईकोर्ट ने मप्र शासन को आदेश दिया कि पूर्व कलेक्टर के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई आरंभ करने की इजाजत दे।
श्री गुप्ता के खिलाफ पहले ही 2010 के पंचायत चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं। इस संबंध में अदालत में मामला भी पेश किया जा चुका है। जमीन का मामला भी 2010 का ही है। शिकायतकर्ता रामेश्वर गहलाेत का आरोप है कि पिपरौदा खुर्द में पटवारी हल्का नंबर 74 के अंतर्गत उनके सगे भाई दौलत राम चिड़ार की जमीन नियम विरुद्ध तरीके से बेची गई। उनका कहना है कि उक्त जमीन भू-दान की थी और पूरी तरह विक्रय निषेध थी। श्री गहलोत ने बताया कि प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई न होने पर उन्होंने न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया।
एक साल पहले मांगी अनुमति
इस मामले में अगस्त 2014 को शिकायतकर्ता द्वारा शासन से अभियोजन स्वीकृति की मांग करते हुए पत्र लिखा गया था, जिस पर आज तक जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की। उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने मप्र शासन को 90 दिन के भीतर अभियोजन स्वीकृति संबंधी औपचारिकता पूरी करने को कहा है।
पंचायत चुनाव 2010 धांधली मामले में 15 को सुनवाई
2010 के पंचायत चुनाव मामले में अदालत ने 15 सितंबर को सुनवाई की तारीख लगाई है। शिकायतकर्ता मानसिंह परसौदा के वकील शैलेंद्र यादव ने बताया कि इससे पहले मामले की सुनवाई 3 अगस्त को होना थी, लेकिन एक पक्ष के वकील के पेश न होने की वजह से तारीख बढ़ाई गई। इस मामले में पूर्व कलेक्टरद्वय मुकेशचंद गुप्ता के अलावा संदीप यादव आरोपों के घेरे में हैं। शिकायतकर्ता का आरोप है कि जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक एक की मतगणना में भारी घपला किया गया, जिससे वे चुनाव में हार गए। 2015 में लंबी लड़ाई के बाद में गड़बड़ी साबित हुई और शिकायतकर्ता को विजयी घोषित किया गया। उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए अदालत में परिवाद पेश किया है।