राजकुमार अग्रवाल/कैथल/हरियाणा। एसडीएम को ज्ञापन सौपते हुये किसान यूनियन के नेताओं ने कहा कि यदि उनकी मांगे न मानी गई, तो राजनेताओं को गांव में घुसने नही दिया जायेगा और यदि धक्के के साथ घुसने की कोशिश करेगा तो उसको जूते मारे जायेंगे तथा गले में जूतों की माला पहनाई जायेगी।
किसान युनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतन सिंह मान के नेतृत्व में शुक्रवार को किसानों ने मार्केट कमेटी का घेराव करके गेटों का ताला लगाया और मुख्यमंत्री तथा प्रधानमंत्री के नाम का एक ज्ञापन एसडीएम आर के सिंह को सौंपा। इस पूर्व मंडी के एक जन सभा भी कि गई।
जन सभा को सम्बोंधित करते हुये किसान नेता रतन सिंह मान, अजीत सिंह हाबड़ी, रामफल कंडेला आदि ने कहा कि पिछले एक साल से किसान पिस रहे है और अब इस धान के सीजन में भी सरकार की चलती मिली भगत के किसानों को लूटने की योजना बना ली है। प्रदेश की किसी भी मंड़ी के अन्दर धान की बोली नही हो रही है। पिछले वर्ष 6000 बिकने वाली धान आधे दामों पर 2500 से 3000 तक बिकी। किसान उस समय नही बोला। उसके बाद वर्षा की मार के चलते किसानों की गेहूं की फसल बर्बाद हुई। जिसको बड़े धक्के से सरकार के साथ धरना प्रदर्शन करके बिकवाया। अब धान की बारीक धान जब अब मंडियों में आनी शुरू हो गई तो उसको व्यापारी बिना बोली के 900 से 1200 रुपये प्रति किवंटल खरीद रहे है।
प्रदेश का कृर्षि मंत्री आंमप्रकाश धनकड़, जो साईकिल पर चल कर किसान हितैषी का दावा किया करता था, वह अब मंत्री बन कर कहां गया। अब उसको किसान क्यों नही नजर आते। चुनाव से पहले स्वामीनाथ की रिपोर्ट के आधार पर मूल्य तय करने का दावा कहां गया। प्रदेश में बीमारी लगने से किसानों की धान व कपास की फसल बर्बाद हो गई है। जिससे किसान अब आत्म हत्या के लिये मजबूर हो गया है। कपास की गिरदावरी के साथ- साथ धान की भी गिरदावरी हो और वह भी ग्राम पंचायत की एक कमेटी के साथ पटवारी करे, न की अकेला पटवारी।
बारीक धान का भाव सरकार घोषित कर खरीद का प्रबंध किया जाये। कमेटी सचिव को कहा कि मडी से चुंगी व विशेष समुदाय द्वारा बरसाने पर फसल देने पर प्रतिबंध लगाया जाये। यदि कोई आढ़ती ऐसा करवाता है, तो उसका लाईसैंस रद्द किया जाये। यदि कमेटी ऐसा नही करती तो किसान यूनियन उस आढ़ती की दूकान को ताला लगा देगी। इसके लिये किसानों से मार्केटिंग बोर्ड़ के द्वारा तय 10 पैसे बारी मजदूरी दी जाये। सारा काम करवाना आढ़ती की जिम्मेवारी है, क्योंकि वह फसल पर कमीशन खाता है।
कमेटी सचिव जब झांकने लगा बंगले
कमेटी सचिव उस समय बंगले झाकने लगा जब किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतन मान ने कहां कि कुछ समय आढ़ती एशोसियशन की बैठक में फैसला लिया गया कि जो किसान बिना सफाई के फसल लायेगा और उसका आढ़ती उसकी सफाई न करवाये, बल्कि उल्टी उठवा दे। यदि कोई आढ़ती इसकी पालना नही करेंगा, तो उस पर 5100 रुपये का जुर्माना लगेगा। किसान यूनियन इस नियम के खिलाफ है और यह नही होने देगी। कमेटी सचिव संजीव सचदेवा ने कहा कि एशोसियशन के इस नियमों का उनको पता नही है। इस पर किसान नेता ने कहा कि कमाल है। यह खबर सारे अखबारों में छपी और किसानों तक पढ़ी गई। फिर आप ने क्यों दिखाई नही दी। क्या आप के सभी अखबारों से यह खबर गायब हो गई या फिर कोई चाल है। इस पर कमेटी सचिव बंगले झांकने लगा।
जिला प्रशासन से है ये मांगे:-
1 किसानों की फसल से चुगी व विशेष समुदाय को फसल के दाने न दिये जाये और इस काम के किसानों से 10 पैसे बोरी लिया जाये।
2 किसानों की साफ फसल व ट्राली के द्वारा उतारने के लिये मजदूरी न काटी जाये। कमेटी हर रोज चार पांच आढ़तीयों के जे फार्म चैक करे।
3 किसानों के लिये शीतल व साफ पानी का प्रबंध किया जाये।
4 किसानों को फसल की पेयमेंट सात दिनों में दिलवाई जाये।
5 फसल को बोली के द्वारा बेचा जाये तथा बारीक धान की बोली में सरकारी खरीद एजैंसिया शामिल हो
प्रदेश सरकार से ये है मांगे:-
1 सरकार प्रदेश की मंडियों में किसानों की फसल की बोली करवाये।
2 सरकार बिजली का लोड़ किसानों द्वारा बढ़वाने पर मीटर के नाम पर पैसे लेना बंद करवाये।
3 सरकार हैफैड़ के साथ बारीक धान की खरीद में अन्य एजंैसियों को भी लगाये।
4 कपास की गिरदावरी के साथ धान की फसल की भी गिरदावरी हो और गिरदावरी गांव की पांच सदस्यों की कमेटी के साथ हो।
5 किसानों की फसल से कमेटी टेक्स व सेल टेक्स खत्म हो ताकी व्यापारी उनकी फसल का सही मूल्य दे सके।
6 किसानों व मजदूरों का कर्ज माफ हो।
केंद्र सरकार से ये है मांगें:-
1 सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मूल्य तय करे।
2 मनरेगा के साथ कृर्षि को भी जोडा जाये।