इंदौर। सेना और इंदौर पुलिस के बीच तनाव अभी भी कम नहीं हुआ है। पुलिस ने हमलावर सैनिकों के लिए डकैती, बलवा और छेड़छाड़ जैसी धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है तो सेना के अफसरों ने भी सैनिकों को पीटने वाले आईपीएस विपुल श्रीवास्तव व दूसरे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर करने की मांग की है।
शुक्रवार को सैन्य अफसर विश्वजीत दलबल के साथ विजय नगर थाने पहुंचे। उन्होंने टीआई छत्रपालसिंह सोलंकी को लिखित आवेदन दिया। इसमें सीएसपी विपुल श्रीवास्तव सहित अन्य पुलिस अफसर व कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की। उन्होंने कहा- हमारे चार अधिकारी घायल हैं। तीन को फैक्चर हुआ है। पुलिस ने गुंडों जैसा पीटा। शराब पीने की ऐसी सजा नहीं हो सकती। एक अफसर जीवनभर ठीक नहीं होगा। सेना से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि मामले की शुरुआत पुलिसकर्मी की ओर से हुई थी। उसने सड़क किनारे एक युवा सैन्य अधिकारी को पीटना शुरू कर दिया। आरोप है कि उक्त पुलिसकर्मी भी शराब के नशे में था। अपने साथी को बचाने दो अन्य लड़के वहां पहुंचे तो पुलिसकर्मियों ने उन दोनों को भी डंडे मार दिए। युवा अधिकारी इस बात से भी आहत थे कि मामले पर पुलिस के उच्चाधिकारियों की ओर से लगातार बयान आते रहे लेकिन सेना की ओर से केवल एक ही बार बयान जारी किया गया।
करियर ही मुश्किल में
मारपीट में जिन सैनिकों को गंभीर चोट आई है वे अपने करियर को लेकर भी आशंकित है। दरअसल वायोज थल सेना की फ्रंट लाइन होती है। मारपीट से पैर में राड़ डलने के बाद वे इस बात से चिंतित है कि फ्रंट लाइन में काम कर पाएंगे या नहीं । हम अपराधी या चोर-उचक्के नहीं थे, बार-बार थाने पर मौजूद पुलिस अफसरों को बता रहे थे कि हम राजपत्रित अधिकारी हैं, लेकिन हमें बेरहमी से पीटा जा रहा था, गालियां दी जा रही थी। यह पीड़ा उन युवा सैन्य अफसरों (वायोस) की है जो पुलिस की पिटाई से घायल हुए थे।