डेढ़ साल से अटका है आशुतोष महाराज का अंतिम संस्कार

जालंधर। पंजाब के मशहूर दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की स्थापना करने वाले आशुतोष महाराज के दिल की धड़कनें 29 जनवरी 2014 को हुई थी। इसके बाद किसी ने कहा उनकी मौत हो चुकी है तो किसी ने कहा कि महाराज समाधि में हैं। अब आशुतोष महाराज करीब 567 दिनों से एक ऐसे कमरे में समाधि लिए हुए हैं जिसका तापमान शून्य डिग्री है। हालांकि, आशुतोष महाराज को चिकित्सकों ने 29 जनवरी 2014 को मृत घोषित कर दिया था। कोर्ट भी एक बार अंतिम संस्कार का आदेश दे चुकी है, लेकिन दूसरा पक्ष जाकर स्टे ले आया था। 18 अगस्त 2015 को एक बार फिर कोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई हुई, लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हलफनामा दायर करने वाले डीएसपी कुलविंदर सिंह के नहीं पहुंचने से अब इस मामले में अगली सुनवाई 29 सितंबर को होगी। यानी महाराज अभी भी फ्रीजर या समाधि में ही रहेंगे।

वर्तमान स्थिति...
पंजाब में दिव्य ज्योति जागरण संस्थान के अंदर केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स तैनात है। नूरमहल के इस संस्थान के मुखिया का शव फ्रीजर में है और संस्थान का कहना है कि आशुतोष महाराज 'गहन समाधि' में हैं। वहीं, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि आशुतोष महाराज के शव का अंतिम संस्कार सुनिश्चित किया जाए।

वहीं दूसरी तरफ खुद को आशुतोष महाराज का बेटा बताने वाले दिलीप झा ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती हुई है, जिसमें उनकी अंत्येष्टि सुनिश्चित करने की बात है। दिलीप का दावा है कि वे आशुतोष महाराज के बेटे हैं और इसकी पुष्टि के लिए उनका डीएनए टेस्ट होना चाहिए।

इतना ही नहीं, इस विषय पर नजर रखने वालों का मानना है कि इस वक्त देश-विदेश में इनके तकरीबन 350 डेरे हैं और कुल चल-अचल सम्पति 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा की मानी जाती है। वहीं 1983 में नूरमहल में बने पहले आश्रम की सम्पति ही तकरीबन एक हजार करोड़ की है।

जन्म हुआ बिहार के दरभंगा जिले में...
आशुतोष महाराज का असली नाम महेश कुमार झा है और उनका जन्म बिहार के दरभंगा जिले के नखलोर गांव में 1946 में हुआ था। वह 1983 में पंजाब के नकोदर जिले के हरिपुर गांव में रहने लगे। यहीं उन्होंने दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की स्थापना की। संस्थान की वेबसाइट के अनुसार, दिव्य ज्योति जागृति की स्थापना 1983 में हुई थी और इसका उद्देश्य विश्व शांति है। इसमें दावा किया गया है कि दुनिया भर के 15 देशों में इसकी 350 शाखाएं हैं।
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