भोपाल। नाला कवर्ड था तभी पंक्चर बनाने वाले गूंगे बहरे भोलाशंकर की नजर दरार पर पड़ी। एक बच्चे को बहते हुए देखा। वो तत्काल मदद के लिए उठा। नीचे नाले में बच्चा बह रहा था, उपर भोलाशंकर बदहवास। वो लोगों को इशारे कर करके बता रहा था परंतु कोई समझ ही नहीं रहा था। जब लोगों ने नाले में बच्चे का हाथ देखा तो वे भी भोला के साथ उसे बचाने के लिए दौड़ पड़े।
भोला और अन्य लोगों की मदद से आखिर में बच्चा स्कूल के पास पकड़ आया, तब सबकी जान में जान आई। वह लगभग 500 मीटर तक कवर्ड नाले में बहता रहा। इसके बाद बच्चे के बारे में आसपास पता किया तो वह जज कॉलोनी निवासी लोभीलाल का 8 वर्षीय बेटा आर्यन निकला। इसके बाद बच्चे के पिता और अन्य लोग उसे हमीदिया अस्पताल लेकर पहुंचे।
हमीदिया के डॉक्टरों की हैवानियत
बच्चे को बचाकर भोला और उसके साथी तुरंत हमीदिया अस्पताल ले गए लेकिन डॉक्टरों ने बच्चे के इलाज में टाल-मटोल की। डॉक्टर्स को बताया तो उन्होंने कहा कि अभी हम खाना खा रहे हैं, थोड़ी देर बाद देखेंगे। बच्चे को सिर, आंख, नाक और हाथ-पैर में गंभीर चोंटें आई हैं। दो घंटे इंतजार करने के बाद भी डॉक्टर नहीं आए तो वे मजबूरन बच्चे को निजी अस्पताल ले गए, जहां उसका इलाज चल रहा है।
पता नहीं क्या होता
मेरे बेटे को भोलाशंकर ने बचा लिया। अगर वह नहीं देखता तो पता नहीं क्या होता? बारिश के कारण पानी का बहाव बहुत तेज था, इसलिए उसे पकड़ने में परेशानी हुई। उसे कई जगह चोट लगी हैं। हमीदिया अस्पताल में दो घंटे तक परेशान होने के बाद उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया है। मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए सरकारी अस्पताल में इलाज होता तो खर्च कम होता।
लोभीलाल, आर्यन के पिता
किसी ने पीठ नहीं थपथपाई
भोलाशंकर मूक-बधिर हैं। वह वाहनों के पंक्चर जोड़कर अपनी आजीविका चलाता है। भोला ने बहादुरी के साथ बच्चे की जान बचाई। इस घटना की सूचना नगर निगम और कलेक्टर ऑफिस में दी गई थी, लेकिन किसी ने भोला की पीठ नहीं थपथपाई।
दीपक खेमानी
बिरजू पांडे, दिनेश सोनियल, प्रत्यक्षदर्शी