किसानों की जेब से 150 करोड़ चुराने की तैयारी: मंत्री हुईं नाराज

भोपाल। सरकारी अधिकारियों ने मप्र के किसानों की जेब से 150 करोड़ रुपए चुराने की तैयारी कर ली है। इसमें से 100 करोड़ रुपए अधिकारियों के चहेते व्यापारियों को मिलेंगे जबकि मात्र 50 करोड़ रुपए सरकारी खजाने में जमा किए जाएंगे।

यह है मामला
ग्वालियर में खसरों की नकल पंचायत स्तर पर जनमित्र केन्द्र पर दस रुपए शुल्क में मिल जाती थी लेकिन लैंड रिकाॅर्ड कमिश्नर राजीव रंजन ने जनमित्र केन्द्रों का लिंक बंद करा दिया। ग्वालियर में पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर खसरों की नकल का काम एक प्राइवेट फर्म को दे दिया गया। यह फर्म खसरे के प्रति पेज की नकल के लिए 30 रुपए शुल्क ले रही है। पांच पेज के खसरों की नकल के लिए यहां 150 रुपए वसूल किए जा रहे हैं जबकि जनमित्र केन्द्रों पर यह शुल्क मात्र दस रुपए था। फिलहाल यह केवल 2 जिलों में शुरू हुआ है, शीघ्र ही पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगा।

उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण के दौरान जानकारी मिली तो उन्होंने लैंड रिकाॅर्ड कमिश्नर राजीव रंजन, संभागीय आयुक्त केके खरे व कलेक्टर संजय गोयल को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर की और इस निर्णय को तत्काल निरस्त करने के लिए कहा। साथ ही जनमित्र केन्द्र बंद करने का कारण पूछा। अब लैंड रिकाॅर्ड कमिश्नर कह रहे हैं कि यह उनका नहीं राज्य शासन का आदेश है। वहीं अन्य अफसर कागजी लिखा पढ़ी कर स्वयं को बचाने में लगे हुए हैं।

अकेले ग्वालियर जिले में ही हर माह 1.70 लाख खसरों की नकल निकाली जाती है। जिले में हर साल तीन करोड़ रुपए से अधिक शुल्क खसरों की नकल के लिए देना पड़ेगा। यदि प्रदेश के सभी जिलों की बात की जाए, तो नकल के लिए ही किसानों को 150 करोड़ रुपए शुल्क के तौर पर देने पड़ सकते हैं। इस शुल्क में से 50 करोड़ राज्य शासन को, जबकि 100 करोड़ वेंडर को मिलेंगे।

यह शासन का आदेश है
डिजिटलाइजेशन का निर्णय तो किसान व ग्रामीणों की सुविधा के लिए लिया गया है। पेपर पर डिजिटल साइन होने से गड़बड़ी की गुजांइश नहीं रहती। अब उद्योग मंत्री ने इस व्यवस्था के बारे में क्या पत्र लिखा है यह मुझे नहीं पता। वैसे भी यह निर्णय राज्य सरकार की सहमति से पायलट प्रोजेक्ट के तहत लिया गया था।
राजीव रंजन, कमिश्नर लैंड रिकॉर्ड, मप्र 

ये गलत आदेश है
ऑनलाइन व्यवस्था से किसानों को खसरे-खतौनी की नकल निकलवाने के लिए जहां मुख्यालय तक जाना पड़ रहा है वहीं ज्यादा पैसे भी खर्च करने पड़ रहे हैं। मैंने कलेक्टर को पत्र लिख यह पूछा है कि जनमित्र केंद्रों से जब नकल संबंधी कार्य ठीक चल रहे थे तो फिर यह व्यवस्था बंद क्योंं की गई।
यशोधरा राजे सिंधिया, उद्योग मंत्री, मप्र  
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