माफिया चला रहा एमपी बोर्ड की फर्जी बेवसाइट

भोपाल। मप्र में एज्यूकेशन माफिया की ताकत का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता। मामला व्यापमं घोटाले का हो या दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन कांड का। माफिया हर जगह सरकार से 10 कदम आगे और ताकतवर साबित हो रहा है। खुलासा हुआ है कि मप्र का शिक्षा माफिया एमपी बोर्ड की फर्जी बेवसाइट चला रहा था। वो फर्जी मार्कशीट बनाता है और उसका आॅनलाइन वेरिफिकेशन भी कराता है। इसके लिए माफिया एक स्टूडेंट से 3 से 7 लाख रुपए वसूलता है।

माफिया का नेटवर्क यूपी एवं बिहार में भी बताया जा रहा है। एक सीनियर अफसर ने इस बात का खुलासा किया कि शुरुआती पूछताछ में डीयू के 4-5 और कॉलेजों के बारे में पता चला, जहां पर फर्जीवाड़ा करके दाखिले कराए गए।

क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने बताया कि फर्जीवाड़े में अरेस्ट किए गए चारों आरोपियों का काम भी बंटा हुआ था। कॉलेजों में दाखिला कराने का काम सुनील पवार के जिम्मे था। उसे गुरुजी के नाम से जाना जाता है। कैंडिडेट्स ढूंढने की जिम्मेदारी मोहम्मद जुबैर को सौंपी गई थी। वह खुद अरविंदों कॉलेज इंदौर में पढ़ रहा है। कॉलेज में दाखिले की हाई पर्सेंटेज के कारण ज्यादातर बच्चे अपने मनपसंद कॉलेज और कोर्स में दाखिला नहीं ले पाते थे। जुबैर ऐसे बच्चों की तलाश में रहता था। रंचित का काम स्टूडेंट का दाखिला कराने के लिए फर्जी डिग्री, मार्कशीट, ट्रांसफर सर्टिफिकेट और जाति प्रमाणपत्र तैयार कराने का था। फर्जी कागजात तैयार करने में प्रवीण झा की मास्टरी थी। इस तरह से ये चारों आरोपी मिलकर इस रैकेट को चला रहे थे।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि गैंग में शामिल बदमाशों को यह भी पता था कि उनका फर्जीवाड़ा कागजातों की ऑनलाइन जांच के समय पकड़ा जाएगा। इन्होंने इसका भी तोड़ निकाल लिया था। दरअसल, इन्होंने यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश बोर्ड की फर्जी वेबसाइट भी तैयार की हुई थी। इस वेबसाइट पर इनके बारे में पूरी डिटेल जानकारी फीड कर दी जाती थी, जिससे फर्जी डिग्री को असली साबित किया जा सके। पुलिस अधिकारियों ने इस बात का भी खुलासा किया कि यह गैंग एक सेशन में 25 बच्चों को दाखिला कराता था। पूछताछ में यह भी पता चला कि यह गैंग दिल्ली में पिछले तीन साल से एक्टिव है। इतना ही नहीं यह गैंग प्राइवेट सेक्टर में जॉब करने वाले युवकों की भी फर्जी डिग्री और मार्कशीट तैयार करता था। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कितने लोगों की जाली डिग्री और मार्कशीट तैयार की और वे किस-किस बड़ी कंपनी में जॉब कर रहे है अभी इसका पता नहीं चल पाया।

अडिशनल कमिश्नर आलोक कुमार ने बताया कि चारों आरोपियों को सात दिन के रिमांड पर लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। पूछताछ में कुछ और नए खुलासे होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि बहुत जल्द इस मामले में कुछ और लोगों को अरेस्ट किया जाएगा।

मजेदार बात यह है कि अरविंदो कॉलेज के स्टूडेंट्स खुलेआम यह धंधा चलाते दिख रहे हैं परंतु मप्र शासन के किसी भी विभाग ने इनको कभी नहीं पकड़ पाया। यदि दिल्ली में गिरफ्तारी ना होती तो वो डाउट भी पैदा ना होता जो आज हो गया। देखना यह है कि क्या दिल्ली पुलिस मप्र के शिक्षा माफिया की कॉलेज तक पहुंच पाएगी। 

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