भोपाल। मध्यप्रदेश में जितने बीपीएल परिवार हैं, उनसे अधिक इस श्रेणी के लोगों के राशन कार्ड बने हैं। यह संख्या पांच लाख के करीब पहुंच रही है। यह खुलासा विधानसभा में पेश कैग की रिपोर्ट में हुआ। राज्य में 70 लाख 90 हजार बीपीएल परिवार हैं, जबकि राशन कार्डों की संख्या 75 लाख 79 लाख है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एपीएल कोटे का 6 लाख 84 हजार मीट्रिक टन गेहूं गरीबों के खाते में डाल दिया गया। इससे सरकार पर 507 करोड़ 96 लाख रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आया है। रिपोर्ट में कहा है कि राज्य सरकार का यह फैसला केंद्र के नियमों का उल्ल्घंन है।
रिपोर्ट के अनुसार मप्र में वर्ष 2009 से 2014 तक जारी किए गए राशन कार्ड बीपीएल परिवारों की संख्या से अधिक होना फर्जी कार्ड प्रचलन में होने का स्पष्ट संकेत है। कैग के अफसरों ने 14 जिलों में जांच के दौरान पाया कि वर्ष 2011 की जनगणना में उल्लेखित परिवारों की तुलना में सभी श्रेणियों के 6 लाख 64 हजार अतिरिक्त राशन कार्ड प्रचलन में हैं। खास बात यह है कि कलेक्टरों को हर साल जारी किए गए राशनकार्डों के 20 प्रतिशत का भौतिक सत्यापन करना था, लेकिन कैग की रिपोर्ट के मुताबिक कलेक्टरों ने ऐसा नहीं किया।