भोपाल। व्यापमं मामले में खुद पर गर्व करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए गर्व करने का एक और अवसर आया है। कैग ने मप्र मेंं 136 करोड़ का डामर घोटाला पकड़ा है।
बुधवार को विधानसभा में प्रस्तुत भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के अनुसार ठेकेदार द्वारा बिल पेश न करने के बावजूद पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने 105 करोड़ से अधिक का भुगतान कर दिया। इसके साथ ही 30 करोड़ से अधिक का भुगतान डामर की क्वालिटी की जांच के बिना कर दिया गया।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार पीडब्ल्यूडी के 16 सब डिवीजन में 90 मुख्य जिला सड़कों (एमडीआर) और 437 अन्य सड़कों के निर्माण में ठेकेदारों ने 16,161 मीट्रिक टन बिटुमिन (डामर) के उपयोग के बिल पेश नहीं किए। लेकिन उन्हें 105.26 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार तीन सब डिवीजन बालाघाट, नीमच और विदिशा में 13 एमडीआर और 94 अन्य सड़कों के निर्माण में पैक्ड बिटुमिन के उपयोग की शर्त थी। लेकिन ठेकेदारों ने या तो बिल ही पेश नहीं किए या पैक्ड बिटुमिन के स्थान पर बल्क बिटुमिन के डुप्लीकेट बिल पेश कर दिए। विभाग ने पैक्ड बिटुमिन का उपयोग सुनिश्चित किए बिना 30 करोड़ 96 लाख का भुगतान कर दिया। कैग के अनुसार पैक्ड और बल्क बिटुमिन के रेट में 3000 रुपए प्रति मीट्रिक टन का अंतर है। ऐसी स्थिति में ठेकेदारों से 1.26 करोड़ रुपए की वसूली की जाना चाहिए थी।
ये गड़बड़ियां भी पकड़ीं
>छतरपुर, खरगोन और रायसेन में गारंटी अवधि के भीतर सड़कों के नवीनीकरण पर 46.95 लाख खर्च किए गए।
>नीमच में एमपीआरडीसी को हस्तांतरित सड़क के नवीनीकरण पर पीडब्ल्यूडी ने 27.26 लाख रुपए खर्च कर दिए।
>200 सड़कों के नवीनीकरण पर 29.77 करोड़ रुपए अधिक खर्च किए गए।
>मंदसौर में सड़क मरम्मत में बिटुमिन का 40.94 लाख रुपए अधिक भुगतान किया गया।
राजगढ़ में 9.50 लाख रु. का गबन
कैग ने अपनी रिपोर्ट में पीडब्ल्यूडी के राजगढ़ सब डिवीजन में 9.50 लाख रु. के गबन का खुलासा किया है। ट्रेजरी में जमा किए गए चालानों के अधपन्नों पर कुल मिला कर 9.91 लाख रुपए जमा करना दर्शाया गया, जबकि वास्तव में केवल 41 हजार रुपए ही जमा कराए गए।