ग्वालियर। व्यापमं के केसों के लिए गठित विशेष कोर्ट ने मूल दस्तावेज पेश नहीं करने पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार की जांच एजेंसी सही से काम नहीं करती है तो कोर्ट वाचडॉग की भूमिका निभाएगा। इसलिए एसआईटी के एएसपी 17 जून को रिकॉर्ड के साथ कोर्ट में उपस्थित रहें।
मंगलवार को विशेष सत्र न्यायाधीश धर्मिन्दर सिंह की कोर्ट में सुनील पुत्र किशन सिंह भदौरिया के केस की सुनवाई थी। पुलिस को इस केस में मूल दस्तावेज, एसएफएल रिपोर्ट पेश करनी थी, लेकिन पुलिस ने दस्तावेज पेश नहीं किए।
इससे पूर्व हुई सुनवाई में कोर्ट ने पुलिस को चेतावनी देते हुए दस्तावेज पेश करने के लिए आखिरी मौका दिया था। इसके बावजूद इसके पुलिस ने दस्तावेज पेश नहीं किए थे। सुनवाई के दौरान अपर लोक अभियोजक अमर सिंह तोमर ने दस्तावेज व एसएफल रिपोर्ट पेश करने के लिए कोर्ट से समय मांगा।
वहीं कोर्ट ने एसएसपी को भी चेतावनी देते हुए कहा कि बार-बार निर्देश दिए जाने के बाद भी पुलिस ने अपना रवैया नहीं सुधारा है। यह रवैया अवमानना की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए एसएफएल रिपोर्ट पेश करने के लिए 17 जून तक का समय दिया है। इस दौरान एएसपी को भी कोर्ट में उपस्थित होना पड़ेगा।
सुनील ने दो जगह दी थी परीक्षा
सुनील पुत्र किशन सिंह भदौरिया ने 30 सिंतबर 2012 को जीवाजी राव हायर सेकेन्ड्री स्कूल व हरिदर्शन में अपने नाम से एक साथ दो जगह आरक्षक भर्ती की परीक्षा दी थी। किशन एक जगह खुद बैठा था और दूसरी जगह पर सॉल्वर को बिठाया था। सॉल्वर को बिठाने के लिए फोटो मिसमैच किया गया था। इस मामले में पुलिस ने 7 जनवरी 2015 को कोर्ट में चालान पेश कर दिया था, लेकिन चालान के साथ मूल दस्तावेज नहीं लगाए। इसलिए आरोपी पर आरोप तय नहीं हो पा रहे हैं। कोर्ट लगातार मूल दस्तावेज व एसएफल रिपोर्ट के लिए निर्देशित कर रहा है।
स्वाति सिंह की जमानत खारिज
विशेष सत्र न्यायाधीश धर्मिन्दर सिंह ने पीएमटी कांड के दो आरोपियों की जमानत खारिज कर दी। मोनिका यादव की सॉल्वर स्वाति सिंह व धर्मेन्द्र चंदेल ने कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन लगाया था।
विधि विभाग ने मांगी जमानतों की जानकारी
विधि विभाग व एसआईटी ने व्यापमं कांड के आरोपियों की जमानत की निगरानी शुरू कर दी है। विधि विभाग ने लोक अभियोजक जगदीश शर्मा को एक पत्र भेजा है। पत्र में निर्देशित किया गया है कि व्यापमं के विशेष कोर्ट के अलावा यदि किसी अन्य अन्य कोर्ट से आरोपी को जमानत दी गई है तो उसकी जानकारी विधि विभाग को दी जाए।