डीमेट घोटाला: सरकारी, CBI, STF और प्राइवेट कॉलेजों को नोटिस

भोपाल। अंतत: डीमेट घोटाला सरकारी दस्तावेजों में दर्ज हो ही गया। इस मामले में कांग्रेस चुप रही, केवल दिखावटी विरोध जताती रही लेकिन रतलाम के पूर्व विधायक पारस सखलेचा ने उचित मंच पर अपनी आवाज उठाई और हाईकोर्ट ने इस घोटाले के संदर्भ में शिवराज सरकार, सीबीआई व एसटीएफ सहित प्रदेश के तमाम प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को नोटिस जारी कर दिया।

क्या है डीमेट घोटाला...
मेडिकल कॉलेजों में एडिमशन के लिए व्यावसायिक परीक्षा मंडल(व्यापमं) प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) कराती है। वहीं निजी मेडिकल डेंटल और कॉलेजों की मैनेजमेंट कोटे की सीटों के लिए एसोसिएशन फॉर प्राइवेट मेडिकल एंड डेंटल कॉलेजेज (एपीएमडीसी) डीमेट कराती है। इनमें 15% सीटें एनआरआई, 43% डीमेट और 42% सीटें राज्य कोटे यानी पीएमटी से भरी जाती हैं। यानी सबसे ज्यादा सीटें डीमेट के जरिये भरी जाती हैं।

इन पर उठीं उंगलियां...
डीमेट के जरिये गलत तरीके से अपने बच्चों और रिश्तेदारों को मेडिकल और डेंटल कॉलेज में एडमिशन दिलाने वालों की लिस्ट लंबी है। इनमें नेताओं के अलावा अफसर भी शामिल हैं। नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने पिछले दिनों मीडिया के सामने आरोप लगाया था कि प्रदेश के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने बेटी आकांक्षा और अवंतिका का, अजय विश्नोई ने बेटे अभिजीत का, कमल पटेल ने भतीजी प्रियंका और इंदौर की विधायक मालिनी गौड़ ने कर्मवीर गौड़ का दाखिला कराया। कटारे ने कुछ और नाम लिए थे। इनमें स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्र, शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता, पूर्व मंत्री प्रकाश सोनकर, हरनाम सिंह राठौड़, नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और पीस कमेटी के अखिलेश पांडे शामिल हैं।

हालांकि सरकार के प्रवक्ता और मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस नेताओं के नाम भी उजागर किए, जिन्होंने डीमेट का गलत फायदा उठाया। इनमें आरिफ अकील, पीसी शर्मा, गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, अरुण यादव, हजारी लाल रघुवंशी और तुलसी सिलावट शामिल हैं।

ऐसे हुआ घोटाले का पर्दाफाश
डीमेट-2006 में गड़बड़ी सामने आने के बाद परीक्षा रद्द हुई थी। हालांकि लंबी कानूनी लड़ाई के बाद परीक्षा बहाल हो गई। करीब चार महीने पहले जब व्यापमं घोटाले की जांच के दौरान ग्वालियर एसआइटी ने अतुल शर्मा नामक दलाल को पकड़ा, तब डीमेट घोटाले की पहली परत खुली। उसने बताया कि 2010 एमएस कोर्स में उसने ऋचा जौहरी का एडमिशन कराया था। वे जबलपुर के मशहूर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एमएस जौहरी की बेटी हैं। अतुल ने व्यापमं घोटाले के मुख्य आरोपी नितिन मोहिंद्रा के नाम का जिक्र भी किया था। मोहिंद्रा फिलहाल जेल में हैं। जब उनसे पूछताछ हुई, तो खुलासा हुआ कि ऋचा का नाम योगेश कुमार उपरीत ने उनके पास भेजा था। उपरीते 2003-04 में व्यापमं के निदेशक थे। रिटायरमेंट के बाद उपरीते ने जबलपुर में एक डेंटल कॉलेज शुरू किया है। वे एपीएमडीसी के सदस्य और बाद में 10 सालों तक डीमेट के परीक्षा नियंत्रक भी रहे। उन्हें 3 जून को ग्वालियर एसआइटी ने गिरफ्तार किया है। 72 साल के उपरीते ने पूछताछ के दौरान कई बड़े लोगों के नाम उजागर कर दिए।

इतने में बिकती थीं सीटें...
उपरीते के बयानों को अगर सच मानें तो बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस), एमबीबीएस, एमएस और एमडी में एडमिशन के नाम पर 15 लाख से एक करोड़ तक उगाहे गए। यानी हर साल करीब1,500 सीटें निजी मेडिकल कॉलेजों में डीमेट के जरिए भरी गईं। इससे आकलन किया जा रहा है कि यह घोटाला करीब 10000 करोड़ तक पहुंचा है।

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