ग्वालियर। एक पुलिस अधिकारी को रिश्वतलेते हुए रंगे हाथों पकड़वाने का अंजाम क्या हो सकता है, यह प्रकरण इसी की बानगी है। संजीव पवैया ने एक एसआई को रिश्वतलेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार करवाया, उस समय तो ऐसा लगा जैसे सत्य की जीत हो गई लेकिन उसके बाद जो कुछ हुआ वो रोंगटे खड़े कर देने वाला है। एसआई ने ना केवल उसे धमकाया, बल्कि उस पर फायरिंग भी कराई, गोली पीठ में लगी, फिर भी पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया, उल्टा उसी के खिलाफ रेप का झूठा प्रकरण दर्ज कर लिया। शिकायतकर्ता की पूरी जिंदगी ही तबाह हो गई।
आजाद नगर निवासी टिंकू उर्फ संजीव पवैया ने बताया कि पिछली साल घर के पास में ही रहने वाले परिवार से उसका विवाद हो गया। झगड़े की रिपोर्ट दर्ज कराने मुरार थाने गया था। पुलिस ने उसे मेडिकल के लिए भेज दिया। मेडिकल से लौटकर आने पर उसे उलटा हवालात में बंद कर दिया गया। क्योंकि दूसरे पक्ष ने उसके खिलाफ छेड़छाड़ का मामला दर्ज करा दिया था।
इसी मामले को ढीला करने के नाम एसआई इंदर सिंह उससे रिश्वत मांग रहा था। जेल से छूटने के बाद एसआई उसे परेशान करने लगा। परेशान होकर इसकी शिकायत लोकायुक्त में की। लोकायुक्त ने एसआई को रिश्वत लेते हुए ट्रेप कर लिया। मुरार पुलिस उसी दिन से उस पर राजीनामे के लिए दबाव बना रही है। राजीनामे से इंकार करने पर उसे प्रताड़ित किया जा रहा है।
टिंकू पवैया के खिलाफ कब क्या हुआ-
7 दिसंबर 2013 छेड़छाड़ का मामला दर्ज हुआ (गिरफ्तारी हुई जेल गया)
21 जनवरी 2014 मुरार थाने में पदस्थ एसआई इंदर सिंह को रिश्वत लेते हुए पकड़वाया।
25-26 मार्च की रात को दूसरे पक्ष ने गोली चलाई। गोली पीठ में लगी। न्यायालय के आदेश से दर्ज हुआ मामला।
5 दिसंबर 2014 को टिंकू के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज हुआ।
एसपी पुलिस के हैं, इसलिए पहले पुलिस की सुनेंगे
टिंकू पवैया ने बताया कि पुलिस की ज्यादती की शिकायत उसने 5 जून को सीएम हेल्पलाइन में की। सीएम हेल्प लाइन से उसे सलाह दी गई कि वह पुलिस कंट्रोल रूम में शिकायत करें। 100 नंबर डायल करने पर वहां तैनात पुलिस के जवान ने उसे यही कहा कि तुम जानते हो पुलिस कैसी होती है। फिर क्यों उलझ रहे है। राजीनामा कर लो। एसपी पुलिस के है, तुम्हारी सुनेंगे कि पहले हमारी।