जबलपुर। वो कब आया, कब गया, जिंदा भी है या नहीं, किसी को कुछ नहीं पता लेकिन एक रजिस्ट्री यह बता रही है कि सवा सौ साल उम्र का एक पाकिस्तानी जबलपुर आया और आजादी से पहले यहां मौजूद अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर चला गया। इधर शासन ने उस प्रॉपर्टी को लावारिस घोषित करके नीलामी कर दी। अब एक प्रॉपर्टी के दो दो मालिक, दोनों आपस मे झगड़ रहे हैं।
सन् 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान देश छोड़ कर जाने वालों की संपत्ति को भारत सरकार द्वारा अपने कब्जे में लिए जाने के बाद नीलामी के माध्यम से लोगों को आवंटित करने के मामले में एक बड़ा गोलमाल सामने आया है। पता चला है कि कस्टोडियन प्रॉपर्टी (निष्क्रांत संपत्ति) के नाम से पहचानी जाने वाली इस जायदाद के मामले में भू-माफिया और दलालों ने मिल कर सरकारी नीलामी से खरीदी हुई संपत्ति किसी दूसरे के नाम रजिस्टर्ड करा ली है।
मामले की खास बात यह है कि जो व्यक्ति 1947 में भारत छोड़ कर जा चुका है उसने कब पाकिस्तान से जबलपुर आ कर रजिस्ट्री कर दी इसका कोई रिकॉर्ड किसी के पास नहीं है। वहीं प्रशासनिक अमले ने कस्टोडियन प्रॉपर्टी के रजिस्ट्री हेतु कैसे अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिया।
गढ़ा बैदरा मोहल्ला निवासी निसार खान ने शासन-प्रशासन से की शिकायत में आरोप लगाया है कि उन्होने बरेला के ग्राम जमुनिया (खम्हरिया वृत्त)में उक्त भूमि को सरकारी नीलामी में क्रय किया था। जिसके लिए स्टेट बैंक आॅफ इंडिया के माध्यम से राशि जमा की गई थी लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि उसकी रजिस्ट्री सांठगांठ से कुछ लोगों ने किसी और नाम से करा दी है। निसार के मुताबिक हाईकोर्ट से उसे फिलहाल इस पर स्टे मिल गया है लेकिन रोजाना मिल रहीं धमकियों से वो परेशान है और पुलिस रिपोर्ट तक नहीं लिख रही।
किसी को कुछ नहीं पता!
मामले पर जबलपुर तहसीलदार मुनव्वर खान का कहना है कि ऐसा एक प्रकरण उनकी जानकारी में जरुर है लेकिन वे उसे देख नहीं रहे हैं, इसलिए अधिक बता नहीं सकते। पूर्व में जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम राजेश जैन इस प्रकरण को देख रहे थे जिनका कि तबादला हो चुका है। उधर कलेक्टर एस एन रुपला का कहना है कि यह मामला उनकी जानकारी में फिलहाल नहीं है लेकिन वे इसकी पतासाजी कराएंगे। अधिक जानकारी के लिए फिलहाल राजेश जैन और अपर कलेक्टर छोटेसिंह से सम्पर्क नहीं हो सका।