भोपाल। सरकारी कर्मचारियों को पासपोर्ट बनवाने के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट(एनओसी) लेने के लिए अपने ही विभाग के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसे देखते हुए विदेश मंत्रालय ने सरकारी कर्मचारियों को राहत देते हुए एनेक्शचर एन जारी किया है।
सरकारी कर्मचारियों को केवल विभाग में सूचना देकर पासपोर्ट के आवेदन के साथ एनेक्शचर एन फाॅर्म भरना होगा, जिसमें संबंधित विभाग व स्वयं के पद की पूरी जानकारी देनी होगी। उसके बाद पासपोर्ट बनने की प्रोसेस शुरू हो जाएगी। पासपोर्ट इंडिया की वेबसाइट पर एनेक्शचर एन अपलोड कर दिया गया है।
चार-चार महीने से विभागों में अटकी अनुमति
पिपरिया के एक शासकीय स्कूल में शिक्षक पिंकी अरोरा ने पासपोर्ट के लिए फरवरी में एनओसी मांगी थी। विभाग ने उन्हें एनओसी देने से इंकार कर दिया। उनका कहना है कि विभागीय खानापूर्ति में वक्त लग रहा है, जबकि उनके पति और बच्चे का पासपोर्ट बन गया है। उन्हें रिश्तेदार के यहां कनाडा जाना है।
डाॅ. भास्कर देव मास्टरलाल सिंह अस्पताल में पदस्थ हैं। उन्होंने पासपोर्ट के लिए विभाग से एनओसी मांगी। इसके लिए फरवरी 2014 से आवेदन कर रखा है, अब तक एनओसी नहीं मिली। उन्हें एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने विदेश जाना था, लेकिन पासपोर्ट नहीं होने से नहीं जा पाए।
अब तक यह होता था...
शासकीय कर्मचारियों को अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के लिए एनेक्शचर बी के निर्धारित प्रारूप में विभाग में आवेदन करना होता था। विभागाध्यक्ष के द्वारा इस फॉर्म पर पहचान पत्र जारी करने के बाद ही पासपोर्ट जारी हो पाता था। विभागाध्यक्ष द्वारा जारी इसी फॉर्म को एनओसी माना जाता था। इस प्रमाण पत्र के बाद पुलिस सत्यापन की अनिवार्यता नहीं रहती थी।
नई व्यवस्था यह होगी
कर्मचारियों को एनेक्शचर एन फाॅर्म में पूरी जानकारी भरकर फाॅर्म की कॉपी सूचना के तौर पर विभागाध्यक्ष को देनी होगी। इस पर विभागाध्यक्ष की स्वीकृति की जरूरत नहीं होगी। आपत्ति होने पर विभाग द्वारा सीधे क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी को फोन पर सूचित किया जाएगा। कर्मचारी को इस फाॅर्म की एक कॉपी पासपोर्ट आवेदन के साथ लगानी होगी। वहां से नियमानुसार पुलिस सत्यापन व अन्य कार्रवाई के बाद पासपोर्ट बनाने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
स्पेलिंग की गलती में सुधार करवाना होगा आसान
विदेश मंत्रालय अब नाम, सरनेम, पते की स्पेलिंग परिर्वतन को लेकर भी जल्दी ही आवेदकों को सुविधा देने वाला है। पासपोर्ट अधिकारी मनोज कुमार राय के मुताबिक आवेदकों के साथ सबसे ज्यादा परेशानी नाम, सरनेम और पते की स्पेलिंग परिवर्तन को लेकर आती है। आवेदक फाॅर्म में अलग स्पेलिंग लिख देते हैं और मार्कशीट व अन्य दस्तावेज चैक किए जाते हैं तो अलग-अलग स्पेलिंग मिलती हैं। उन्होंने बताया कि अब छोटी-छोटी स्पेलिंग परिवर्तन को सुधारा जा सकेगा। इसके लिए पासपोर्ट कार्यालय स्तर पर नियमों का विश्लेषण किया जा रहा है।
आवेदकों को यह सुविधा जल्दी मिल सकेगी। अभी दस्तावेजों में अलग-अलग स्पेलिंग पर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार पत्र में प्रकाशन करवाना अनिवार्य होता था। उस कटिंग को पासपोर्ट कार्यालय में प्रस्तुत करना पड़ता था।