अब हादसों के वक्त आप चलती हुई ट्रेन को रोक नहीं पाएंगे। अब तक अप चेनपुलिंग करके ट्रेन का जब चाहे रोक सकते थे, परंतु मिसयूज के नाम पर यह सुविधा बंद कर दी गई है। जो नए कोच बनाए जा रहे हैं उनमें चेन नहीं होगी और जो पुराने कोच हैं उनमें से मरम्मत के दौरान चेन हटा दी जाएगी।
रेलवे के नीति नियंताओं ने तय किया है कि कोच से अब अलार्म चेन ऑपरेटर यानी चेन पुलिंग सिस्टम को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। नए कोच में जंजीर नहीं लगेगी। जबकि पुराने कोच से भी मरम्मत के दौरान उसे हटाने का सिलसिला शुरू हो गया है। रेलवे बोर्ड ने इज्जतनगर रेलवे वर्कशॉप और कोच फैक्ट्रियों को इस बाबत निर्देश भेज दिए हैं जिस पर अमल भी शुरू हो गया।
तगड़ा आर्थिक नुकसान
सिर्फ रफ्तार ही नहीं, चेन पुलिंग आर्थिक नुकसान का भी बड़ी वजह बनी। हाल के आंकड़ों पर गौर करें तो चाल बिगड़ने के कारण महज एक साल में करीब 3300 करोड़ रुपये का नुकसान रेलवे को हुआ। खुद रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने बरेली में यह जानकारी दी है।
चेन पुलिंग का मकसद
देश में 1853 में मुंबई से थाणे के बीच पहली ट्रेन चली थी। तब हादसों की सतर्कता के लिए हर कोच में चेन पुलिंग की जंजीर लगाई गई थी। कोई हादसा होने से पहले यात्री-टीटीई या कर्मचारी चेन पुलिंग कर ट्रेन को रोक सकते थे। लोग सामान छूटने, परिजनों के स्टेशन पर छूट जाने के दौरान भी चेन खींचकर ट्रेन रोकने लगे।
अब ऐसे होगी सुरक्षा
चेन पुलिंग हटाने के बाद अब ट्रेन के हर कोच में सहायक ट्रेन ड्राइवर (एएलपी) और गार्ड के मोबाइल नंबर दर्ज किए जाएंगे। आपात स्थिति में ट्रेन रुकवाने के लिए यात्री इन नंबरों पर कॉल कर सकेंगे। ये कॉल रिकॉर्ड होंगे।