सिर्फ चीनी नहीं, दाल रोटी भी चाहिए

राकेश दुबे@प्रतिदिन। सरकार भले ही अच्छे दिन का गुणगान करे, अच्छे दिन आते नहीं दिखते है। देश विदेश के मौसम विभाग भारत के मानसून पर अपनी विपरीत टिप्पणी कर चुके है। बाजार में आटे- दाल के भाव बद गये हैं। सरकार को सिर्फ चीनी और चीनी मिल मालिक दिखाई दे रहे है। सरकार को सोचना चाहिए कि इस स्थिति में क्या-क्या कदम उठाए जाएं। 

सरकार ने चीनी मिलों को छह हजार करोड़ रुपए का ब्याज-मुक्त कर्ज देने का एलान किया है, इसलिए कि वे किसानों का बकाया चुका सकें। चीनी मिलों पर गन्ना उत्पादकों का बकाया इक्कीस हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। सरकार की ओर से मुहैया कराए जाने वाले ऋण की परिणति किसानों के बकाए के भुगतान में होगी। पर सरकार किसानों के लिए ही चिंतित थी, तो इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश से पहले उसने कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया।

यह पहला मौका नहीं है जब किसानों का पैसा दिलाने के लिए चीनी मिलों को कर्ज जारी किया गया हो। चीनी मिलें जब-जब संकट में पड़ी हैं या इसका रोना रोया है, सरकार ने उनकी तरफ मदद के हाथ बढ़ाए हैं। फिर, किसानों के बकाए के भुगतान की समस्या क्यों हर वक्त बनी रहती है? शायद ही कोई साल जाता हो जब अपना भुगतान पाने के लिए गन्ना उत्पादकों को आंदोलन न करना पड़े।

दिसंबर 2013 में यूपीए सरकार ने गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान करने के लिए चीनी मिलों को 6600 करोड़ रुपए का ब्याज-मुक्त ऋण दिया था। डेढ़ साल बाद उन्हें फिर छह हजार करोड़ रुपए का ब्याज-मुक्त कर्ज देना पड़ रहा है। साल भर तक ब्याज न लगने की सूरत में सरकार को छह सौ करोड़ रुपए की भरपाई करनी होगी। इसे चीनी विकास निधि के मत्थे डाला जाएगा। पर इतने से मिल मालिकों के संघ यानी इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन को संतोष नहीं है।

उसका कहना है कि अतिरिक्त उत्पादन और दाम में आई कमी की समस्या अपनी जगह बनी हुई है। इसी शिकायत के मद्देनजर सरकार ने कुछ और भी कदम उठाए हैं। एक तो यह कि चीनी का आयात शुल्क बढ़ा दिया है। दूसरे, चीनी के लिए निर्यात-सबसिडी की घोषणा की है। ऐसे कदम अतिरिक्त उत्पादन की सूरत में ही उठाए जाते हैं। इस साल चीनी का उत्पादन 2.80 करोड़ टन को पार कर जाने का अनुमान है। पिछले साल यह 2.43 करोड़ टन था। देश में चीनी की खपत 2.40 करोड़ टन है। सरकार चाहे तो बफर स्टॉक के तौर पर खरीद कर चीनी उद्योग को और सहारा दे सकती है। पर दाल रोटी की और उसका कोई ध्यान नहीं है। 

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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