व्यापमं घोटाले की नई लिस्ट में चौंकाने वाले नाम: कांग्रेस ने जारी की लिस्ट

भोपाल। अब तक व्यापमं घोटाले में मंत्री, नेता और अफसर ही शामिल बताए जाते रहे हैं परंतु आज कांग्रेस की ओर से जारी एक लिस्ट में न्यायधीशों की संलिप्तता भी उजागर की गई है। इस लिस्ट में 8 न्यायधीशों के नामों का खुलासा किया गया है जिन्होंने अपने बच्चों या रिश्तेदारों का अवैध एडमिशन कराया। इसके अलावा सीएम शिवराज सिंह चौहान की साली साहिबा का नाम भी इस लिस्ट में दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तत्कालीन राष्ट्रीय महामंत्री मंत्री वीडी शर्मा भी अवैध लाभार्थियों की इस लिस्ट में शामिल बताए जा रहे हैं।

आप खुद पढ़िए मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की ओर से जारी यह प्रेस बयान :-

सम्मानीय पत्रकार बंधुओं,
समूचे देश में व्यापम महाघोटाले को लेकर मप्र को शर्मसार करने वाले आपराधिक षड्यंत्र में प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान और उनके परिजनों की सीधी सहभागिता ने इस बात को अब प्रामाणिक कर दिया है कि राजनेताओं,  चिकित्सा-शिक्षा माफियाओं, प्रशासन और नौकरशाहों के महागठबंधन ने 90 अरब रूपयों का डाका डाला है।

अकेले डीमेट के माध्यम से ही हर वर्ष 1 हजार करोड़ में बिकती रही डाक्टरों की डिग्रियां! इसी उपक्रम में फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए निजी मेडीकल कालेजों में पीएमटी के माध्यम से होने वाले एडमिशन में भी जमकर धांधली की गई है। निजी कालेजों द्वारा पीएमटी के माध्यम से एडमिशन दस्तावेज जमा कराने की अंतिम तिथि के मात्र 4 वर्षों में ही 721 एडमिशन कैंसिल कर ये सीटें पेमेंट सीट में बदल दी गईं, जिन्हें 70 लाख से 1 करोड़ रूपयों के बीच कालेज संचालकों द्वारा बेचा गया है। इस दर से केवल यही घोटाला ही 7 अरब 21 करोड़ रूपयों का स्पष्ट हो रहा है!

कांग्रेस का आरोप है कि इस खरीद-फरोख्त में प्रदेश सरकार के कतिपय मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों, न्यायपालिका, प्रशासन और पुलिस के आला अफसर भी शामिल हैं, जिन्होंने लाखों रूपये खर्च कर डीमेट के जरिये अपने अयोग्य पुत्र-पुत्रियों को पात्र छात्र-छात्राओं के वाज़िब अधिकार से वंचित कर मानव सेवा को समर्पित प्रोफेशन चिकित्सक जैसे महत्वपूर्ण पेशे में काबिज करवा दिया। कई मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों से संबंधित परिजनों की सूची कांगे्रस द्वारा गत् दिनों सार्वजनिक की गई है, किंतु आज जारी की जा रही सूची में शामिल नाम भी चौंकाने वाले हैं, जो निम्न हैं:-

1. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की पत्नी श्रीमती साधनासिंह की जबलपुर निवासी सगी छोटी बहन-श्रीमती रेखासिंह की बेटी प्रियंकासिंह-वर्ष 2012 में एमबीबीएस में चयन-चिरायु मेडीकल काॅलेज।
2. जस्टिस एस.सी. सिन्हों के नाती अजय रघुवंशी-अरबिंदो मेडीकल काॅलेज।
3. जस्टिस अभय गोहिल की पुत्री रागिनी गोहिल-एमबीबीएस में प्रवेश।
4. जस्टिस जे.के. महेश्वरी की बेटी एमबीबीएस- अरबिंदो मेडीकल काॅलेज में प्रवेश।
5. न्यायाधीश पी.सी. गुप्ता की बेटी- अरबिंदो मेडीकल काॅलेज में प्रवेश।
6. न्यायाधीश के.सी. गर्ग की बेटी-प्रियंका गर्ग- अरबिंदो मेडीकल काॅलेज में प्रवेश।
7. न्यायाधीश श्रवण रघुवंशी की बेटी-पायल रघुवंशी-अरबिंदो मेडीकल काॅलेज।
8. आईएएस अधिकारी रेणु पंत की बेटी-अवनि पंत-इंडेक्स मेडीकल काॅलेज।
9. आईएएस अधिकारी सुहेल अख्तर के पुत्र-रिजवान अख्तर- अरबिंदो मेडीकल कालेज।
10. आईपीएस महेन्द्रसिंह सिकरवार की बेटी-मयूणा- अरबिंदो मेडीकल काॅलेज।
11. आईपीएस मनोजसिंह की बेटी-अनन्यासिंह-अरबिंदो मेडीकल काॅलेज।
12. आईपीएस धमेन्द्र चैधरी की बेटी-मधु चैधरी-अरबिंदो मेडीकल काॅलेज।
13. आईपीएस राजेश हिंगणकर की बेटी-  अरबिंदो मेडीकल काॅलेज।
14. अभा विद्यार्थी परिषद के पूर्व महासचिव और वर्तमान में नेहरू युवा केंद्र के उपाध्यक्ष बी.डी.शर्मा की भतीजी-बबीता शर्मा- अरबिंदो मेडीकल काॅलेज।

कांग्रेस का मानना है कि यह नाम तो केवल सांकेतिक हैं, आने वाले दिनों में हम और भी ऐसे नामों का खुलासा करेंगे, जिन्होंने इस गंदे व्यापार के माध्यम से लाखों योग्य और पात्र युवाओं के भविष्य के आगे अंधेरा परोसा है।

हाल ही में प्री-पीजी घोटाले में गिरफ्तार डीमेट के कोषाध्यक्ष व व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले के आरोपी योगेश उपरीत द्वारा किये गये खुलासे में स्पष्ट हो चुका है कि एमबीबीएस के लिए 30 लाख, प्री-पीजी के लिए डेढ़ करोड़ रूपये तक में सीटें बेची जाती थी और प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री का इसमें अहम रोल होता था, जिन्हें कुर्सी सम्हालते ही निजी मेडीकल काॅलेज संचालकों द्वारा 10 करोड़ रूपये पहुंचा दिये जाते थे। यह अपने आप मंे एक गंभीर अपराध है।

हमारी मांग है कि इस गंभीर आपराधिक षड्यंत्र में शामिल निजी मेडीकल काॅलेजों के संचालकों के खिलाफ अविलंब एफआईआर दर्ज हो। हमारी यह भी मांग है कि निजी मेडीकल काॅलेजों के संचालकों को बचाने वाले चिकित्सा-शिक्षा मंत्री नरोत्तम मिश्रा के विरूद्व भी इस आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होने को लेकर एफआईआर दर्ज की जाये। यह शोध का विषय है कि निजी काॅलेज में सीट घोटालों की शिकायतें और प्रमाण सामने आने पर एमसीआई (मेडीकल काॅउंसिल आॅफ इंडिया) ने एनआरआई सीट पर दाखिले के लिए परीक्षा पास करने के स्पष्ट निर्देश दिये हैं, किंतु निजी मेडीकल काॅलेज इन निर्देशों को क्यों, किसलिए और किसके संरक्षण में नहीं मान रहे हैं? यही नहीं डीमेट, प्री-पीजी की संपन्न परीक्षाएं भी योग्य और पात्र परीक्षार्थियों के हित में निरस्त घोषित की जायें। विडंबना है कि गंभीर खुलासों के बावजूद भी व्यापम घोटाले की जांच कर रही एसटीएफ डीमेट और निजी काॅलेजों से एनआरआई कोटे में हेरफेर, राज्य कोटे में गड़बड़ी से दाखिले, सीटें कंेसिलेशन के फर्जीवाड़े का रिकार्ड जप्त क्यों नहीं कर रही है?

हमें यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि डीमेट फर्जीवाड़े के डाटा भी रिकार्ड से डिलीट कर दिये गये हैं। जांच एजेंसी एसटीएफ की दृढ़ इच्छाशक्ति यदि ईमानदारीपूर्ण होती तो वह डीमेट के दफ्तर और मेडीकल काॅलेजों के कम्प्यूटर जप्त कर महत्वपूर्ण डाटा रिकार्ड कर सकती थी। इन परिस्थितियों के पूरी तरह उजागर हो जाने के बाद कांग्रेस एक बार पुनः व्यापम महाघोटाले की जांच सीबीआई से कराये जाने की मांग दोहराती है।

पात्र और योग्य प्रतिभागियों के हक छीनकर अपने अयोग्य बेटे-बेटियों को प्रवेश दिलाने वाले अन्य तीन नाम
1. जस्टिस सोलंकी की बेटी अमृता सोलंकी-पीपुल्स काॅलेज।
2. जस्टिस एस.सी. कोचर की बेटी शिल्पा कोचर, मेडीकल काॅलेज। कोचर साहब ने अपनी बेटी का विकलांग होने का झूठा प्रमाण पत्र भी बनवाया।
3. न्यायाधीश सविता जड़िया की बहन। व्यापम घोटाले में आरोपी भी है।

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