राजधानी पर होर्डिंग्स माफिया का कब्जा, नेताओं का संरक्षण

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल पर इन दिनों होर्डिंग माफिया का कब्जा है। कांग्रेस और भाजपा नेताओं के संरक्षण में पल रहा यह माफिया रैकेट हर माह करोड़ों का कारोबार करता है परंतु सरकार को एक धेला भी टैक्स अदा नहीं किया जाता। बावजूद इसके इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। प्रेशर आता है तो थोड़ी बहुत दिखावे की कार्रवाई करके प्रेसनोट जारी कर दिए जाते हैं। कुछ समय बाद फिर वही हालात हो जाते हैं।

राजधानी में हाईकोर्ट सभी होर्डिंग्स को अवैध घोषित कर चुका है, वहीं नए को लगाने के टेंडर नहीं हुए हैं। बावजूद इसके अवैध होर्डिंग्स का लगना जारी है। खासबात यह है कि जिन स्थानों पर नगर निगम ने प्रमुख चौराहों से अवैध होर्डिंग के खिलाफ कार्रवाई का दावा किया था, वही ये होर्डिंग निगम को मुंह चिढ़ा रहे हैं। लेकिन निगम अफसरों को ये नहीं दिख रहे, क्योंकि इनमें भाजपा-कांग्रेस के बड़े नेता हैं, जिनमें उन्हें जन्मदिन की बधाई दी गई है। यही नहीं बिजली के खंभों पर छुटभैया नेताओं ने अपने होर्डिंग लगा दिए हैंं। इससे सम्पत्ति विरूपण अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है।

शहर में हाई कोर्ट के पहले आदेश के वक्त भी करीब 500 अवैध होर्डिंग थे और निगम ने ऑन रिकार्ड 450 होर्डिंग हटा दिए थे लेकिन मॉनीटरिंग नहीं होने के कारण दोबारा होर्डिंग खड़े हो गए हैं। कार्रवाई के बाद होर्डिंग माफिया ने होर्डिंग का आकार जरूर छोटा कर दिया है और फिलहाल पूरे शहर के प्रमुख मार्गों और वीआईपी क्षेत्रों में यह होर्डिंग लगे हैं।

इन इलाकों में अवैध होर्डिंग
जेके रोड, न्यू मार्केट, गुलमोहर, बावड़िया, रायसेन रोड, एयरपोर्ट रोड, कोलार रोड, बागसेवनिया, अशोका गार्डन, होशंगाबाद रोड आदि क्षेत्र।

ऐसे फैल रहा अवैध होर्डिंग का जाल
अवैध होर्डिंग खड़ा करने के साथ ही होर्डिंग माफिया सबसे पहले इस पर स्थानीय विधायकों और महापौर के फोटो युक्त फ्लैक्स लगा देता है। इससे निगम कर्मचारी होर्डिंग को हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। निगम के जोन 12, 13, 10, 6 और 7 के सामने ही इस तरह होर्डिंग लगे हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह, महापौर आलोक शर्मा, पूर्व महापौर और कांग्रेस नेत्री विभा पटेल आदि के होर्डिंग प्रमुख हैं। इनको निगम अधिकारी रोजाना देखते हैं। लेकिन कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

100 करोड़ का नुकसान
अवैध होर्डिंग के मामले में नगर निगम को सालाना करीब 100 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। यह बात मार्च 2013 में सामने आई थी। मामला विधानसभा में भी उठा था। इसके बाद निगम ने वसूली की कवायद शुरू की थी। लेकिन निगम वसूली नहीं कर पाया।

होर्डिंग में कब क्या हुआ
शहर में 2008 के बाद एक भी होर्डिंग को परमिशन जारी नहीं हुई
2004 से 2008 के दौरान शहर में 1078 होर्डिग वैध थे।
होर्डिंग नीति के बाद होर्डिंग संचालक हाई कोर्ट चले गए।
2008 से निगम को होर्डिंग से राजस्य मिलना बंद है।
निगम 2012-13 में निगम द्वारा कराए गए सर्वे में करीब 500 अवैध पाए गए।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद मार्च से अप्रैल के बीच निगम ने पिछले महीने करीब 450 होर्डिंग हटाए।
हाई कोर्ट मार्च में अवैध होर्डिंग्स को लेकर फैसला निगम के पक्ष में सुनाया था।
इसके बाद होर्डिंग संचालक सुप्रीम कोर्ट चले गए।
अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट निगम की कार्रवाई को सही ठहराया, सुनवाई अभी जारी है।

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अवैध होर्डिंग के खिलाफ निगम लगातार कार्रवाई कर रहा है। जहां-जहां होर्डिग लगाए जाते हैं, वहां निगम का अतिक्रमण की कार्रवाई करता है।
चंद्रमौली शुक्ला, प्रभारी आयुक्त नगर निगम

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