ग्वालियर। हिरणवन कोठी कांड में सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद जिला कोर्ट में ट्रायल शुरू हो गया है। यह पिछले 11 साल से रुका हुआ था। इस मामले में आरोपी पिछोर विधायक एवं पूर्व मंत्री केपी सिंह सहित कई कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ वारंट जारी हुए हैं। बता दें कि दिग्विजय सिंह के शासनकाल में केपी सिंह कद्दावर मंत्रियों में शुमार थे। आज भी वो शिवपुरी जिले के पहलवान कहलाते हैं। इस मामले के फरियादी सरदार संभाजीराव आंग्रे सहित मुख्य आरोपी स्व. माधवराव सिंधिया एवं अन्य तीन आरोपियों का निधन हो चुका है।
क्या है मामला
महल परिसर में बनी हिरणवन कोठी में सरदार संभाजीराव आंग्रे रहते थे। जबकि यह सिंधिया राजवंश की संपत्ति थी। स्व. माधवराव सिंधिया इसे खाली कराना चाहते थे। इसी को लेकर विवाद चल रहा था। वर्ष 1985 में स्व. माधवराव सिंधिया सहित केपी सिंह और कई सिंधिया समर्थकों ने हिरणवन कोठी पर हमला किया और सरदार आंग्रे का सारा सामान फैंक दिया। उनके 2 पालतू शिकारी कुत्तों को भी गोली मार दी गई। सरदार आंग्रे की शिकायत पर माधवराव सिंधिया, पिछोर विधायक केपी सिंह सहित कई कांग्रेसी नेताओं को डकैती अधिनियम के तहत आरोपी बनाया गया था। इस केस की ट्रायल वर्ष 2004 तक चली, लेकिन आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में अपीलें दायर की थीं, जिसमें एफआईआर को चुनौती दी गई थी। इस वजह से हिरणवन कोठी कांड की ट्रायल पर विराम लग गया था।
सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट से अपीलों के निराकरण होने के बाद केस फिर से जिला कोर्ट में ट्रायल शुरू हो गई। विशेष सत्र न्यायालय में 19 जून की सुनवाई में आरोपी मुन्नाा भार्गव, विलास राव व बाल खांडे उपस्थित हुए थे। एक अन्य आरोपी उदयवीर सिंह ने अपनी जमानत कराई है। कोर्ट ने शेष आरोपियों को 24 जुलाई को गिरफ्तारी वारंट पर तलब किया है।