भोपाल। सिस्टम में Political protection tax की डिमांड और इससे जुड़ी परेशानियां तेजी से बढ़ती जा रहीं हैं। पहले लोग खुशी से पार्टियों को चंदा दिया करते थे, बाद में भ्रष्ट अफसरों से गठबंधन कर नेताओं की पक्की कमाई होने लगी लेकिन अब तो भले ही अधिकारी कितना भी ईमानदार क्यों ना हो Political protection tax भरना ही होता है। नार्दन कोल फील्ड (एनसीएल) सिंगरौली के जीएम ने नहीं भरा तो उनका ट्रांसफर हो गया। यह ट्रांसफर भाजपा सांसद रीता पाठक ने कराया है। मामला अब मोदी की अदालत में पहुंच गया है।
अपने ट्रांसफर से पहले इस संदर्भ में खुद किशारे पाठक ने एक चिट्ठी कोल माइंस आफिसर्स एसोसिएशन को लिखी है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि सांसद रीता पाठक उन पर 'Political protection tax' के लिए दवाब बना रहीं हैं और ना देने पर ट्रांसफर करा देने की धमकी देती हैं। इस चिट्ठी के एक सप्ताह बाद उनका ट्रांसफर हो गया। अब एसोसिएशन के अध्यक्ष तारेश्वर प्रसाद ने यह चिट्ठी 'ना खाउंगा, ना खाने दूंगा' का नारा बुलंद करने वाले भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी की ओर फारवर्ड कर दी है।
एसोसिएशन को भरोसा है कि मोदी के आफिस से इस मामले में एक्शन होगा और मोदी व्यक्तिगत रूप से इस पर टिप्पणी करेंगे लेकिन सवाल यह उठता है कि 'Political protection tax' की परंपरा को तोड़ने के लिए क्या कभी कोई अभियान शुरू होगा या फिर यह भी टैरर टैक्स की तरह समाज का एक हिस्सा हो जाएगा।