अपेक्स बैंक का संचालक मंडल Kick Out

भोपाल। हाईकोर्ट के आदेश से अपेक्स बैंक अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे विधायक भंवर सिंह शेखावत के संचालक मंडल को भंग कर दिया गया है। सहकारिता विभाग ने पंजीयक, सहकारी संस्थाएं मनीष श्रीवास्तव को प्रशासक नियुक्त किया है।

नियमित संचालक मंडल नहीं होने की वजह से बैंक नीतिगत फैसले बीते तीन माह से नहीं कर पा रहा था। अब न केवल बैंक का कर्ज उतारने वाले पुराने हितग्राहियों के लिए एकमुश्त समझौता योजना पर निर्णय हो सकेगा बल्कि डेढ़ हजार नियुक्तियों के लिए बैंकिंग भर्ती बोर्ड को प्रस्ताव भेजने पर फैसला भी हो सकेगा।

अपेक्स बैंक के संचालक मंडल का कार्यकाल फरवरी 2015 में समाप्त हो गया था पर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के चुनाव नहीं होने की वजह से अपेक्स बैंक के चुनाव नहीं हो सके। सरकार ने संचालक मंडल को हटाकर प्रशासक बैठाने की तैयारी की थी पर बालाघाट से आने वाले एक संचालक रणजीत सिंह चौहान हाईकोर्ट चले गए थे।

हाईकोर्ट ने संचालक मंडल के पक्ष में फैसला देते हुए नए पदाधिकारियों के चुनाव तक मौजूदा संचालक मंडल को काम करने के निर्देश इस शर्त के साथ दिए थे कि ये कोई नीतिगत फैसला नहीं करेंगे। वहीं, राज्य सहकारी निवार्चन प्राधिकारी को जल्द से जल्द चुनाव कराने के आदेश दिए गए थे। चुनाव तो अभी तक नहीं हो सके पर सरकार ने सहकारी अधिनियम में संशोधन कर ये प्रावधान जरूर कर लिया है कि कार्यकाल समाप्ति पर संचालक मंडल स्वत: पद से हट जाएगा।

यदि संचालक मंडल के लिए आश्वयक निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं तो सरकार प्रशासक की तैनाती करेगी पर हाईकोर्ट के चुनाव तक मौजूदा संचालक मंडल को पद पर बरकरार रखने के निर्देश के मद्देनजर विभाग ने सीधे कोई कदम उठाने से बचते हुए महाधिवक्ता से सलाह मांगी थी।
इस बीच मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई और अधिनियम में संशोधन के मद्देनजर प्रशासक नियुक्त करने को हरी झण्डी मिल गई। महाधिवक्ता कार्यालय से इसकी सूचना मिलते ही पंजीयक, सहकारी संस्थाएं मनीष श्रीवास्तव को विभाग ने प्रशासक नियुक्त कर दिया। श्रीवास्तव ने गुरुवार को पदभार भी ग्रहण कर लिया।

ये पड़ेगा फर्क
प्रशासक की नियुक्ति होने से अब बैंक के नीतिगत मामलों पर फैसले हो सकेंगे। अपेक्स बैंक को सभी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के लिए डेढ़ हजार पदों पर नियुक्ति करना है। मुख्यमंत्री ने नियुक्ति बैंकिंग भर्ती बोर्ड से कराने के निर्देश दिए हैं। इसकी सभी तैयारियां हो चुकी हैं पर नीतिगत मामला होने की वजह से संचालक मंडल की सहमति जरूरी है।

प्रशासक को यह अधिकार है कि वे उचित समझें तो प्रस्ताव का अनुमोदन कर सकते हैं। इसी तरह बैंकों को करीब एक हजार करोड़ रुपए पुराने कर्जदारों से लेना है। कर्ज न चुकाने की वजह से ब्याज मूलधन से ज्यादा हो चुका है, इसलिए उपभोक्ता कर्ज की अदायगी नहीं कर रहे है।
इस कर्ज को हासिल करने के लिए बैंक ने एकमुश्त समझौता योजना बनाई है। इसमें उपभोक्ता को ब्याज में छूट देकर कर्ज वसूलने की योजना का अनुमोदन हो सकता है।

विधायक नहीं बन पाएगा अध्यक्ष
सहकारी अधिनियम में संशोधन होने के बाद अब कोई विधायक अपेक्स बैंक सहित सहकारी संस्थाओं का अध्यक्ष नहीं बन सकेगा। सांसद, जिला व जनपद पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, मंडी बोर्ड के संचालक भी अध्यक्ष नहीं बन सकेंगे।

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