इंदौर। लोकायुक्त पुलिस ने पूर्व सीएमएचओ डॉ. अशोक डागरिया सहित तीन लोगों के खिलाफ अनियमितता का प्रकरण दर्ज किया। इन पर दो करोड़ रुपए से अधिक की आर्थिक अनियमितता का आरोप है। आरटीआई कार्यकर्ता राजेंद्र के गुप्ता ने लोकायुक्त पुलिस को शिकायत की थी कि डॉ. डागरिया, पीसी सेठी अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ. माधव हासानी और लेखापाल जितेंद्र मौर्य ने शासन को दो करोड़ रुपए से अधिक की चपत लगाई है।
शपथ पत्र में की गई शिकायत में तत्कालीन प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण, डायरेक्टर बीएन चौहान, सहायक लेखापाल शिवराजसिंह दिरवाया, यश ट्रेडर्स, रोशनलाल महाराज, बायोटेक फार्मा और अन्नापूर्णा स्वयं सहायता समूह बेटमा को भी अनियमितता का आरोपी बनाने की मांग की गई थी, लेकिन प्राथमिकी में इनके नाम शामिल नहीं किए गए।
- गुप्ता ने 12 बिंदुओं पर शिकायत की थी, जो इस प्रकार हैं-
- 19 जुलाई 2012 से मार्च 2013 तक डॉ. अशोक डागरिया, डॉ. माधव हासानी, जितेंद्र मौर्य और शिवसिंह दिरवाया ने आर्थिक अनियमितताएं की। तब डॉ. डागरिया क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशिक्षण केंद्र के प्राचार्य थे। उन्होंने शासन द्वारा प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं के लिए भोजन के लिए तय 150 रुपए की राशि के बजाय 1003 रुपए का भुगतान किया और घोटाला किया।
- 17 से 31 जनवरी 2013 के बीच कुल छह प्रशिक्षार्थी थे। किंतु मेसर्स रोशनलाल महाराज साऊथ तुकोगंज द्वारा दिए गए बिल के अनुसार 23 हजार एक सौ रुपए का भुगतान किया गया जबकि प्रशिक्षण की अवधि के दौरान सिर्फ 13500 का ही भुगतान किया जाना था।
- आशा माड्यूल 6 और 7 में जिला स्तरीय प्रशिक्षण के बजट में आवंटित राशि के विरुद्ध खर्च कर अनियमितता की गई। कार्यकर्ताओं को ठहराने के नाम पर दिए गए एक लाख आठ हजार के बिल का मिलान नहीं हुआ।
- एमजीसीए प्रशिक्षण के लिए किए गए एक लाख 76 हजार रुपए के भुगतान का मिलान नहीं हुआ।
- संपूर्ण स्वास्थ्य सबके लिए में एक लाख 12 हजार का मिलान नहीं हुआ।
- ग्राम स्वास्थ्य एवं तदर्थ समिति के प्रशिक्षण के लिए एक लाख का मिलान नहीं हुआ।
- 2013 में 26 लाख 81 हजार से ज्यादा का भुगतान लंबित कर दिया गया।
- नियमानुसार एक साल में 10 लाख रुपए तक की खरीदी की जा सकती थी, लेकिन डॉ. डागरिया ने 33 लाख से ज्यादा की खरीदारी कर डाली।
- एक ही फर्म यश ट्रेडर्स से लैब सामग्री व उपकरण खरीदी के नाम पर एक दिन में 22 लाख 41 हजार की खरीदी का आदेश जारी किया।
- उपकरण और कीट के लिए नौ लाख 41 हजार का भुगतान।
- असमायोजित राशि के रूप में 53 लाख 45 हजार का भुगतान।
- डाइट मद में 10 हजार 320 रुपए का अन्न्पूर्णा स्वयं सेवा समूह को भुगतान।
दोषी मिलने पर भी कार्रवाई नहीं
गुप्ता ने बताया उन्होंने मामले की शिकायत स्वास्थ्य विभाग को भी की थी। 14 नवंबर 2013 को संयुक्त संचालक ने डॉ. डागरिया, डॉ. हसानी, लेखापाल मौर्य और सहायक लेखापाल दिरवाया के खिलाफ एफआईआर करवाने की अनुशंसा की थी। अनुशंसा पत्र अपर संचालक वित्त को भेजा गया था। इसके बावजूद एफआईआर नहीं कराई गई। इसके उलट डॉ. डागरिया को क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशिक्षण केंद्र का प्राचार्य बना दिया गया।
एक दिन में 15 ऑर्डर
शिकायत में गुप्ता ने आरोप लगाया था कि सीएमएचओ रहते डॉ. डागरिया ने एक ही दिन में एक ही फर्म को 12-15 ऑर्डर जारी किए, जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता। कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने मामले की शिकायत मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा को भी की थी। -नप्र
हमें नोटिस नहीं दिया
लोकायुक्त पुलिस ने प्रकरण दर्ज करने के पहले न तो हमें नोटिस दिया न पक्ष रखने का मौका दिया। अब तक प्रकरण दर्ज करने की जानकारी नहीं है।
डॉ. माधव हसानी, मेडिकल ऑफिसर पीसी सेठी अस्पताल
जांच रिपोर्ट के बाद बढ़ सकते हैं नाम
प्रथम दृष्टया जिन आरोपियों पर मामला बनता था उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज किए हैं। मामले की जांच के बाद आरोपियों के नाम बढ़ सकते हैं।
रश्मि अग्रवाल, विधि सलाहकार लोकायुक्त, भोपाल