भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 'निर्भया पेट्रोलिंग' की प्रभारी रहीं नमिता साहू का विवादों से 'चोली-दामन' का रिश्ता रहा है। इस बार वे अपने ही अफसरों से भिड़ने के कारण चर्चाओं में हैं। कहा जा रहा है कि महिला दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन करके नमिता की कार्यशैली की सराहना की थी। मोदी का यह कॉल नमिता और अफसरों के बीच 'जलन' का कारण बन गया।
नमिता ने डीआईजी डी. श्रीनिवास वर्मा को एक शिकायती पत्र लिखा है। इसमें आरोप लगाया है कि महिला थाने की टीआई प्रज्ञा नामजोशी उन्हें प्रताड़ित कर रही हैं। कारण, वे उनकी लोकप्रियता से जलती हैं। हालांकि उन्होंने मोदी के कॉल का जिक्र नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, मोदी के कॉल के बारे में नमिता ने अपने अफसरों से पहले मीडिया को बताकर खबरें प्रकाशित करा दी थीं। इससे भी अफसर उनसे नाराज चल रहे हैं।
पढ़िए, एक पहलवान फैमिली में जन्मी लेडी सिंघम की कहानी...
भोपाल में 'निर्भया पेट्रोलिंग' की प्रभारी(विवाद के बाद हटाया) रहीं नमिता साहू गुंडे-मवालियों में खौफ के रूप में पहचानी जाती रही हैं। हालांकि उनकी कार्यशैली हमेशा विवादों में रही। इस बार वे अपने ही अफसरों पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर चर्चाओं में आई हैं। इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक फोन कॉल माना जा रहा है, जो उन्होंने महिला दिवस पर नमिता को किया था।
इसमें मोदी ने नमिता की कार्यशैली को सराहा था। नमिता ने इस बारे में अपने अफसरों को बताए बगैर सीधे मीडिया में खबरें प्रकाशित करा दी थीं। अफसर तभी से नाराज थे। अब नमिता ने डीआईजी को शिकायत की है कि महिला थाने की टीआई प्रज्ञा नामजोशी उनकी लोकप्रियता से 'जलती' हैं।
मोदी ने किया था जब फोन...
होली के दिन(महिला दिवस के पूर्व) शाम के साढ़े छह बजे थे। निर्भया मोबाइल पेट्रोलिंग पुलिस की प्रभारी रहीं सब इंस्पेक्टर नमिता साहू शाहपुरा झील के पास पेट्रोलिंग कर रही थीं। तभी उनके मोबाइल की घंटी बजी, तो नमिता ने फोन उठाया। यह फोन प्रधानमंत्री कार्यालय से था। प्रधानमंत्री ने नमिता साहू से छह मिनट तक बातचीत की और निर्भया मोबाइल पुलिसिंग की तारीफ की।
ईमेल और फोन नंबर भी दिया था
नमिता साहू ने बताया, 'पीएम मोदी ने निर्भया पेट्रोलिंग के काम-काज के बारे में पूछा। इसके साथ ही उन्होंने अपनी ईमेल आईडी और फोन नंबर भी दिया। पीएम ने कहा कि किसी सजेशन या किसी विषय पर मार्गदर्शन के लिए आप सीधे मुझसे बातचीत कर सकती हैं। उन्होंने भोपाल पुलिस की इस पहल को शानदार बताया था।'
कद-काठी से भले नमिता ठेठ पहलवान-सी दिखती हों, लेकिन दिल की बहुत नरम और स्वभाव से भोली-भाली लड़की मानी जाती हैं। वे हंसते हुए कहती हैं-मैं क्या करूं, पुलिसिया भाषा ही कुछ ऐसी होती है कि कोई भी ऐतराज करने लगे, लेकिन सच्ची में मैं लोगों की हेल्प करना चाहती हूं, बस। मुझे सुकून मिलता है।
कठिन परिस्थितियों में भी साहस का परिचय
पुलिस! कोई हौव्वा नहीं, यह तो लोगों की हिफाजत और सहायता करने का जरिया है। ऐसा मानती हैं नमिता साहू। नमिता मप्र पुलिस की ऐसी कर्मचारी मानी जाती हैं, जो कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हैं। समय-समय पर वे यह साबित भी कर चुकी हैं। उन्होंने वर्ष 2000-01 के दरमियान जबलपुर में एक बहुत बड़े सेक्स रैकेट का भांडा फोड़ा था। यह सेक्स रैकेट गोलबाजार के बाबा होटल से संचालित हो रहा था। नमिता जब वर्ष, 2002 में जबलपुर के माढ़ौताल में पदस्थ थीं, तब उन्होंने बच्चों की तस्करी करने वाले गिरोह को पकड़वाने में अहम भूमिका निभाई थी।
फिल्में भी जीवन की दिशा तय करती हैं
बचपन में अंधा कानून फिल्म देखी तो पुलिस वाली बनने का सपना पाला। बड़े होकर कई ऐसी फिल्में देखीं, जिन्होंने मुझे कठिन परिस्थितियों से लडऩा सिखाया, लोगों की मदद करने का तौर-तरीका सिखाया। मैं आपको बचपन का एक किस्सा सुनाती हूं। मेरी बहन को कॉलेज के रास्ते में कुछ टपोरी लड़कों ने छेड़ दिया। वे और भी लड़कियों पर फब्तियां कस चुके थे। एक दिन मैंने उनको सबक सिखाने की ठानी। एक बार मैं अपनी बहन के साथ कॉलेज गई। जैसे ही वो बदमाश लड़के अपनी बाइक से पास आए, मैंने उन्हें किक मारकर गिरा दिया। उसके बाद उनकी धुनाई कर डाली। उस घटना के बाद दोबारा उन्होंने किसी लड़की को छेडऩे का साहस नहीं किया। यह सब करने के पीछे मेरा एक ही उद्देश्य था कि लड़कियां स्ट्रॉन्ग बनें, कठिन हालात में घबराएं नहीं। मैं किरण बेदी की फैन हूं। मैंने उनसे सीखा कि कैसे आप ईमानदारी और साहस से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकते हैं।
पुलिस! कोई हौव्वा नहीं, यह तो लोगों की हिफाजत और सहायता करने का जरिया है। ऐसा मानती हैं नमिता साहू। नमिता मप्र पुलिस की ऐसी कर्मचारी मानी जाती हैं, जो कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हैं। समय-समय पर वे यह साबित भी कर चुकी हैं। उन्होंने वर्ष 2000-01 के दरमियान जबलपुर में एक बहुत बड़े सेक्स रैकेट का भांडा फोड़ा था। यह सेक्स रैकेट गोलबाजार के बाबा होटल से संचालित हो रहा था। नमिता जब वर्ष, 2002 में जबलपुर के माढ़ौताल में पदस्थ थीं, तब उन्होंने बच्चों की तस्करी करने वाले गिरोह को पकड़वाने में अहम भूमिका निभाई थी।
नाना और पिता से मिली जीवटता
बच्चे कच्ची माटी-से होते हैं। माता-पिता उन्हें जैसे चाहें, बना सकते हैं। नमिता कहती हैं- सबके जीवन में उनके घरवालों का बड़ा महत्व होता है। मेरे जीवन में भी ऐसा ही है। मैं जब बहुत छोटी थी। शायद चार वर्ष की, तब मेरी मां मुझे लेकर अंधा कानून फिल्म देखने गई थीं। फिल्म में हेमा मालिनी को देखकर बहुत अच्छा लगा। तब से मेरे जेहन में एक बात बस गई थी कि मुझे तो बस पुलिस वाली बनना है। यह बात शायद मेरे पिताजी को समझ आ गई और उन्होंने बचपन से ही मुझे स्ट्रॉन्ग बनाया। पिताजी प्रोफेशनल पहलवान रहे हैं। वो मुझे अखाड़े ले जाते। खेतों में ट्रैक्टर चलवाते, बिजनेस में सहयोग लेते। वहीं मेरे नाना रामेश्वर गुप्ता की जीवटता ने भी मुझे बहुत प्रभावित किया। वे मुंबई हिंदी विद्या पीठ के अध्यक्ष रहे हैं। अभी 94 वर्ष के हैं, लेकिन आज भी वे नौजवानों से रहते हैं। एकदम ऊर्जावान।
घुड़सवारी और पहलवानी का रखती हैं शौक
नमिता की कहानी इसलिए फिल्मों-सी मिलती-जुलती है, क्योंकि उनका बचपन बेहद दिलचस्प रहा है। उनका परिवार मप्र के सागर की प्रतिष्ठित बिजनेस फैमिली माना जाता है। उनके परिवार में शराब के ठेकों के अलावा गल्ले का भी कारोबार होता है। पिता जयराम बुंदेलखंड के चर्चित पहलवान रहे हैं। नमिता अपनी कहानी कुछ यूं बयां करती हैं- घर में पहलवानी का शौक था। बाबूजी मुझे भी अखाड़े में उतार देते थे और भाइयों से कुश्ती लड़ाते थे। उनका तर्क होता था कि तुझे पुलिस में जाना है, तो फौलाद बन। नमिता अपने पिता का बिजनेस भी संभालती थीं और भाई-बहनों की देखभाल भी करती थीं। नमिता बताती हैं-हमारी एक दाल मिल हुआ करती थी। मैंने उसे भी संभाला। गल्ले का कारोबार भी मैं देखती थी। लेकिन इन सबके बीच अपनी पढ़ाई जारी रखी, ताकि पुलिस में जाने का अपना साकार कर सकूं। सागर में जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी है। वहां से जब भी ट्रेनी पुलिसवालों को गुजरते देखती थी, तो पुलिस में जाने का मेरा सपना और आंखों में उतर आता।
डोले-सोले बनाने का शौक
नमिता खुद को फिट रखने के लिए भी वक्त निकालती हैं। उन्होंने अपने घर में ही छोटा-सा जिम बना रखा है। ड्राय फ्रूट, गुड़ आदि का सेवन करती हैं, ताकि एनर्जी बनी रहे। नमिता कहती हैं- जीवन में फिटनेस सबसे बड़ी चीज है। मैं पुलिस वाली हूं, इसलिए मेरा फिट रहना बेहद जरूरी है। नमिता को अजय देवगन, अक्षय कुमार के अलावा हॉलीवुड की एक्ट्रेस एंजेलिना जोली के स्टंट पसंद हैं। नमिता हंसते हुए कहती हैं- लाइफ भी तो एक स्टंट ही है! वैसे भी स्टंट वही कर सकता है, जो एकदम फिट हो। वैसे मैं इसलिए भी इनकी फैन हूं, क्योंकि साहसिक खेलों में मेरी बचपन से रुचि रही है।
जूडो और साहसिक खेलों में दिलचस्पी
नमिता को साहसिक खेलों में खूब दिलचस्पी रही है। वे स्कूल स्तर तक एनसीसी में रहीं। वर्ष, 2003 में कटक (उड़ीसा) में नेशनल प्रतियोगिता के दौरान उन्हें ब्राउन बेल्ट मिला। इन सबके अलावा नमिता ने फास्ट ड्राइविंग, हॉर्स राइडिंग और हैरतअंगेज कारनामे, जैसे शरीर के ऊपर से बाइक निकलवाना आदि किए हैं। नमिता बताती हैं-महिलाओं को स्ट्रॉन्ग भी होना चाहिए। मैंने अपने खेतों में खूब ट्रैक्टर चलाया। वर्ष, 2000 में एक फास्ट कार ड्राइविंग प्रतियोगिता में इनाम भी जीता था। फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा ने पुरस्कार दिया था। मेरे घर में दो घोड़े हैं-भोला और शंकर। मैं जब अपने घर सागर जाती हूं, हॉर्स राइडिंग अवश्य करती हूं। नमिता को डॉग्स पालने का भी शौक है। इनके घर में तीन प्रजातियों के डॉग्स हैं।
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