गुर्जर आन्दोलन : जाति से श्रेणी और श्रेणी के लाभ

राकेश दुबे@प्रतिदिन। उन्होंने दिल्ली-मुंबई के बीच महत्वपूर्ण रेलमार्ग को रोक दिया है, जिससे 70 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। यह रेलमार्ग दिल्ली को राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से जोड़ने वाला सबसे महत्वपूर्ण रेलमार्ग है। लगभग आठ साल पहले जब ऐसा ही आरक्षण आंदोलन शुरू हुआ था, तब भी हफ्तों यह रेलमार्ग बंद कर दिया गया था।

कोई भी समुदाय अगर आरक्षण के लिए आंदोलन करता है और इस आंदोलन से लोगों को कितनी ही असुविधा हो या सार्वजनिक संपत्ति नष्ट हो रही हो, सरकारें उनके खिलाफ सख्त कदम नहीं उठातीं, क्योंकि यह खतरा होता है कि वह समुदाय चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन के खिलाफ चला जाएगा। बड़ा आरक्षण आंदोलन चलाने वाली जातियां आमतौर पर ताकतवर होती हैं, इसलिए न तो कोई सरकार और न ही कोई राजनीतिक दल उनके इस व्यवहार का खुलकर विरोध कर पाता है। ऐसे में, प्रशासन भी चुप्पी साधकर मूकदर्शक बना रहता है।

गुर्जरों का आंदोलन थोडा अलग है कि वे आरक्षण पाने के लिए आंदोलन नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनकी मांग यह है कि उन्हें पिछड़ी जाति की श्रेणी से हटाकर अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में डाला जाए। इस मांग के पीछे कारण यह है कि पिछड़ी जातियों में प्रतिस्पर्धा ज्यादा है और जनजातियों में आरक्षण मिलने की संभावना ज्यादा है, क्योंकि भारत में जो अनुसूचित जनजातियां हैं, वे आरक्षण का पूरा-पूरा लाभ नहीं ले पातीं।

दूसरा कारण यह है कि राजस्थान में मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में आरक्षण मिला हुआ है और मीणा समुदाय ने इसका भरपूर फायदा उठाया है। इससे गुर्जरों को यह लगा कि पिछड़ी जाति श्रेणी में स्पद्र्धा और ज्यादा हो जाएगी, इसलिए अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में जाना ज्यादा सुविधाजनक है। लेकिन मीणा समुदाय इसका विरोध कर रहा था। ऐसे में, तत्कालीन सरकार ने गुर्जरों को अलग श्रेणी में पांच प्रतिशत आरक्षण दे दिया, मगर सुप्रीम कोर्ट ने उस पर भी रोक लगा दी।

कारण साफ है आरक्षण सामाजिक समता लाने का नहीं, बल्कि प्रलोभन देकर वोट पाने का औजार बन गया है। पार्टियां संगठित और ताकतवर समुदायों को वोट के बदले आरक्षण देने का वादा करती हैं या जाति संगठन समर्थन के बदले आरक्षण की मांग करते हैं। अब यह स्थिति किसी राजनीतिक पार्टी के लिए फायदेमंद भी नहीं बची, क्योंकि सारी पार्टियां ही आरक्षण का वादा करती हैं।

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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