भारत में बापू के खिलाफ टिप्पणी की आजादी नहीं: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि महात्मा गांधी जैसी महान विभूति के लिए अपमानजनक टिप्पणी करने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती है। गुरुवार को शीर्ष न्यायालय ने बापू के खिलाफ आपत्तिजनक कविता लिखने के आरोपी एक बैंक कर्मी की याचिका को खारिज कर दी। अपनी अर्जी में उक्त बैंक कर्मी ने इसको लेकर बांबे हाईकोर्ट में अपने खिलाफ आरोप तय किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

ध्यान रहे कि उक्त कर्मचारी ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र कर्मचारी यूनियन की इन हाउस पत्रिका के संपादक के रूप में 1994 में गांधी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए लिखी गई कविता को प्रकाशित किया था। बांबे हाईकोर्ट में इस मामले में उसे आरोपी बनाया गया और आरोप तय कर दिए गए। जस्टिस दीपक मिश्र और प्रफुल्ल सी पंत की पीठ ने बांबे हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। आरोपी देविदास रामचंद्र तुलजापुरकर के खिलाफ अश्लील किताब की बिक्री/प्रकाशन के आरोप को बरकरार रखते हुए पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी व्यक्ति को समकालीन सामुदायिक मानकों या प्रतीकों की खिल्ली उड़ाने की अनुमति नहीं दी सकती है।

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