प्रभा​री मंत्रियों को जिलों का दौरा करने के निर्देश

भोपाल। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नसीहत पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट के सभी सदस्यों को प्रभार वाले जिलों की फेरी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं, जबकि हालात ये हैं कि कई मंत्रियों ने अपने प्रभार के जिलों की महीनों से खबर ही नहीं ली है। राजधानी के करीबी जिले रायसेन-होशंगाबाद के अलावा सागर, धार, छतरपुर, बालाघाट और रतलाम उपेक्षितों की श्रेणी में शामिल हैं।

इस मुद्दे पर किरकिरी होने के बाद शिवराज मंत्रिमंडल के सदस्य अब दौरे का कार्यक्रम बनाने में जुट गए हैं। शाह ने टीम शिवराज की क्लास लेकर उन्हें प्रभार वाले जिलों में निरंतर प्रवास के अलावा वहां कार्यकर्ताओं और संगठन पदाधिकारियों से मेल-जोल बढ़ाने को कहा था। अब सीएम ने भी मंत्रियों को समझाइश दे दी है। हालांकि इस संबंध में पहले भी कई बार चर्चा हो चुकी है, लेकिन स्थिति जस की तस ही रही। लेकिन अब पार्टी अध्यक्ष की आपत्ति ने मंत्रियों को प्रभार वाले जिलों में जाने के लिए सक्रिय कर दिया है।

दिलचस्पी नहीं ली
दरअसल पार्टी अध्यक्ष को फीडबैक मिला था कि प्रभार वाले जिलों में मंत्रियों की रुचि नहीं दिखती। सबसे करीब रायसेन जिले में भी स्थापना दिवस एवं झंडावंदन जैसे मौके पर ही प्रभारी मंत्री बाबूलाल गौर पहुंचे। अभी कुछ दिन पहले आयोजित नि:शक्तिकरण शिविर में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत, हरियाणा के मंत्री, प्रदेश के मंत्री रामपाल सिंह व डॉ गौरीशंकर शैजवार शामिल हुए, लेकिन प्रभारी मंत्री गौर दिखाई नहीं दिए।

10 महीने बाद...
संभागीय मुख्यालय सागर के प्रभारी एवं स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा का दौरा 10 महीने बाद बन पाया। मिश्रा के पास सागर के अलावा धार और छतरपुर का भी प्रभार है। इन जिलों में भी कमोवेश यही स्थिति है। कुछ दिन पहले सागर में परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह के घर पर आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे मिश्रा ने अधिकारियों ने साथ 15 मिनट की बैठक भी कर ली।

रतलाम में शिक्षा मंत्री पारस जैन, होशंगाबाद में यशोधरा राजे सिंधिया और रीवा के प्रभारी मंत्री डॉ गौरीशंकर शेजवार भी अपने प्रभार वाले जिले का प्रवास लंबे अंतराल में ही बना पाते हैं। वित्त मंत्री जयंत मलैया के पास ग्वालियर और बालाघाट का प्रभार है। वह कहते हैं कि मेरे पास काम की व्यस्तता ज्यादा है, इसलिए ग्वालियर का दौरा तो हो जाता है, लेकिन दूरी ज्यादा होने से बालाघाट छूट जाता है। अब जल्दी ही बालाघाट का दौरा करेंगे।

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