मुद्दे की बात: अब तक कहां दुबकी बैठी थी इंदौर पुलिस

इंदौर। जब से सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर पुलिस को फ्रीहैंड दिया है तब से इंदौर में गुंडा विरोधी अभियान तेजी से शुरू हो गया। कोई 1000 से ज्यादा गुंडों की धरपकड़ की गई। सैंकड़ों भूमिगत हो गए। अब इंदौर पुलिस ने नशे के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है परंतु इस सुखद अहसास के साथ 'मुद्दे की बात' की बात यह भी है कि अब तक इंदौर पुलिस कहां दुबकी बैठी थी ? किसने उसके हाथ रोक रखे थे ? क्यों इंदौर में गुंडाराज कायम हो गया था।

गुंडातत्वों के खिलाफ सफलतम अभियान के साथ साथ अब इंदौर पुलिस ने नशे के खिलाफ भी अभियान छेड़ दिया है। पुलिस ने 30 स्थानों पर छापे मारकर कई लोगों को पकड़ा है। पुलिस द्वारा शराब, ब्राउन शुगर, नाइट्रावेट और गांजा बेचने वालों के खिलाफ कार्यवाही की है। यह अभियान डीआईजी गुप्ता की लीडरशिप में चल रहा है।

उनका मानना है कि पिछले दिनों इंदौर में बढ़ते अपराधों की मुख्य वजह नशा रहा है और सिलसिलेवार हुई चाकूबाजी की घटनाओं से यह साबित भी हुआ है। यही कारण है कि उन्होंने थाना प्रभारियों को नशे का कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिए।

डीआईजी गुप्ता ने कहा कि मैं शहर के लोगों से भी आग्रह करता हूं कि यदि उन्हें कहीं नशा बिकने की जानकारी मिलती है तो वे सीधे मुझसे मिल सकते हैं। यही नहीं वे पुलिस कंट्रोल रूम को भी नशा बेचने वालों की जानकारी दे सकते हैं।

गुप्ता ने कहा कि इंदौर पुलिस शहर में गुंडों के खिलाफ अपनी कार्यवाही जारी रखेगी। साथ ही साथ शहर की क्राइम ब्रांच को भी निर्देशित किया गया है कि चाकूबाजी करने वाले जिन अपराधियों की सूची बनाई गई है, उस पर वे नजर रखें।

निश्चित रूप से यह कार्रवाई और पुलिस की सक्रियता प्रशंसा के योग्य है परंतु सवाल यह है कि अब तक पुलिस चुप क्यों थी। क्या किसी नेता का दवाब इतना ज्यादा हो सकता है कि पूरा का पूरा शहर ही गुंडों के हवाले बना रहे, वारदातें बढ़तीं रहें और सिस्टम चुपचाप बना रहे। दूसरी बात यह भी कि यदि कोई नेता अपराधियों को इस स्तर तक संरक्षण देता है तो उसे पार्टी में सम्मान क्यों दिया जाता है। क्यों उसके खिलाफ पार्टी मंच में आवाज नहीं उठती।

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