दमोह। शहर मे जहां तहां खाली पड़ी नजूल व अन्य विभागों की शासकीय भूमि पर नगर पालिका दमोह द्वारा अवैध रूप से अतिक्रमण कर काम्पलेक्स का निर्माण करा, दुकानों का अपात्रों को आवंटन करने के मामले मे हाईकोर्ट मे अवैध निर्माण को गिराने की प्रार्थना वाली जनहित याचिका पर न्यायालय ने सारे अतिक्रमण 6 माह मे हटाने का निर्देश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री राजेन्द्र मेनन व न्यायमूर्ति श्री एस सी गर्ग की युगल पीठ ने जारी किये है।
शहर के पत्रकार व आरटीआई कार्यकर्ता अनुराग हजारी ने वर्ष 2007 मे नगर पालिका दमोह द्वारा वर्ष 2005 मे शहर भर मे जगह जगह खाली पड़ी नजूल व अन्य विभागो की भूमि पर अवैध ढंग से कब्जा कर नियम विरूद्ध शापिंग काम्पलेक्सों का निर्माण कर दुकाने राजनैतिक दलो से जुड़े लोगों सहित अन्य अपात्रों को नियम विरूद्ध ढंग से आवंटन का आरोप लगाया था। याचिका मे हजारी ने प्रमुख रूप से किसान भवन के सामने नजूल शीट क्र0 42,49 के प्लाट नं 110, वन परिक्षेत्र कार्यालय से सटे शीट क्रमांक 42 के प्लाट नं 103/2, जबलपुर नाका स्थित तहसील के सामने खाली पड़े शीट क्रमांक 68,69,78 के प्लाट नं 3897/18 एवं किल्लाई चौराहा स्थित नजूल शीट क्रमांक 50,55,62 के प्लाट नं 69/2 पर बड़ी संख्या मे नगर पालिका द्वारा दुकानो का निर्माण कराने और मनमाने ढंग से आवंटन करने का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता ने न्यायालय को अवगत कराया कि उसने तमाम उच्चाधिकारियों को उक्त मामले मे शिकायते कर उक्त कृत्य पर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन कोई कार्यवाही नही की गई जिससे मामला न्यायालय मे दायर करने की स्थिति बनी।
उच्च न्यायालय ने वर्ष 2007 मे ही उपरोक्त निर्माण कार्यो पर यथास्थिति के निर्देश जारी किये थे। इस प्रकरण मे गत दिवस हुई सुनवाई मे नगर पालिका की ओर से इस आशय का शपथ पत्र दिया गया था कि उसने शहर की नजूल भूमि व अन्य जगहो पर से काफी अतिक्रमण हटाये है और जो शेष है उन्हे हटाया जायेगा। जिस पर न्यायालय ने याचिका मे चिन्हित किये गये स्थानो के साथ साथ नगरीय क्षेत्र मे नजूल व अन्य शासकीय भूमि पर हुए अतिक्रमणो को 6 माह मे हटाकर रिर्पोट हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष पेश करने का निर्देश नगर पालिका दमोह को दिया है।
ना परमीशन न आवंटन
याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि नगर पालिका ने गैरकानूनी ढंग से जगह जगह खाली पड़ी नजूल व अन्य विभागो की जमीन पर बिना शासन की अनुमति व जमीन आबंटन के बिना ही शापिंग काम्प्लेक्सों का निर्माण कर दिया व दुकानो का फर्जी ढंग से अतिक्र ामको की सूची तैयार करा दुकानो का बंदरबाट कर दिया गया।
याचिकाकर्ता को दी स्वतंत्रता
न्यायालय ने प्रकरण मे याचिका कर्ता को स्वंतत्रता दी है कि यदि याचिका मे दर्शित अतिक्रमण को यदि नियमानुसार नही हटाया गया है तो वह नये आवेदन के जरिए पुन: न्यायालय मे आने स्वतंत्र रहेगा।
इनका कहना है
नपा ने अतिक्रमण हटा दिये जाने संबंधी गलत जानकारी देकर उच्च न्यायालय को गुमराह किया है नपा के जबाब की सत्यापित प्रति प्राप्त होते ही नपा सीएमओ व अन्य के खिलाफ न्यायालय मे अलग से कार्यवाही हेतु आवेदन देंगे। नपा के अफसरो, जनप्रतिनिधियों की धोखाधड़ी आम जनता के सामने आनी चाहिए।
अनुराग हजारी, याचिकाकर्ता