भोपाल। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित भविष्य निधि घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने गुुरुवार को फैसला सुनाया है। 20 लोगों ने मिलकर 2001 से 2003 के बीच करीब 73 लाख 18 हजार का घोटाला किया था। इस मामले में सीबीआई ने जांच के बाद कोर्ट में चालान पेश किया था। सीबीआई की ओर से कमालउद्दीन ने पैरवी की।
न्यायाधीश मनोज श्रीवास्तव ने घोटाले के मुख्य आरोपी गजेंद्र सिंह को 7 साल की जेल और 66 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। डीके चांदने और सीटी जोसफ कुट्टी को 5-5 साल जेल और 2.30 लाख का जुर्माना, जबकि प्रताप सिंह को 5 साल जेल में बिताने होंगे और 7 लाख रुपए जुर्माना भरना होगा। बाकी 17 आरोपियों को 3-3 साल की सजा भुगतनी होगी और 20-20 हजार रुपए का जुर्माना भरना होगा। इस मामले में एक अारोपी धापू बाई सबूतों के अभाव में बरी हो गई। इसकी ओर से एडवोकेट संदीप गुप्ता ने पैरवी की।
पीएफ ऑफिस में घोटाले का यह मामला 2001 से शुरू हुआ था। आरोप है कि तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर डीके चंदानी सहित 4 अधिकारियों ने बाहरी लोगों के साथ मिलीभगत कर करीब 73 लाख रुपयों के फर्जी क्लेम हासिल कर लिए थे। इस मामले में सीबीआई ने 2006 में FIR दर्ज की थी। इसमें सीबी जोसफ कुट्टी और प्रताप सिंह तब कार्यालय सहायक थे। मुख्य आरोपी गजेंद्र सिंह भी कार्यालय सहायक था। इनके अलावा बाकी जिन आरोपियों को सुजा सुनाई गई, वे ये लोग हैं, जिनके नाम पर फर्जी बैंक अकाउंट खुलवाकर क्लेम लिया गया।
- आरोपियों के नाम
- गजेंद्र चौहान(मुख्य आरोपी)
- प्रताप सिंह
- रवि खंडारे
- भगवान सिंह चांदोरे
- भरत राय
- योगेश दुबे
- सुरेंद्र पवार
- राजेश कुमावत
- धापू बाई(सबूतों के अभाव में बरी)
- विनोद चौहान
- दुष्यंत सोनवाने
- रिंकू शिकर
- निर्मल कुमार राठौर
- रमेश हलदर
- सुनील चौहान
- सचिन चौहान
- सीटी जोसफ कुट्टी
- डीके चांदने
- राजेंद्र सिंह ठाकुर
- मनीष गौर
- शारदा
- किशोर
