भोपाल। ड्राइवर और कंडक्टरों की हड़ताल के चलते Prasanna Purple की 150 लो-फ्लोर बसें बुधवार को नहीं चलीं। इस कारण कंपनी को 8 रूट पर आवागमन करने वाले 60 हजार से ज्यादा यात्रियों से हाथ धोना पड़ा। हड़ताल के कारण सारी बसें आईएसबीटी और भदभदा चौराहे स्थित डिपो में खड़ी रहीं। उधर, सहायक श्रम आयुक्त ने इस हड़ताल को दोपहर बाद अवैध घोषित कर दिया।
भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड द्वारा तीन प्राइवेट कंपनियों के माध्यम से शहर में 200 से ज्यादा लो-फ्लोर बसों का संचालन करवाया जाता है। इनमें से सबसे ज्यादा 150 बसों का संचालन प्रसन्ना मोबेलिटी एंड साॅल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड करती है। इस कंपनी की बसों के कंडक्टरों ने विभिन्न रूट पर अचानक टारगेट बढ़ाने के विरोध में यह हड़ताल की गई।
कंडक्टरों की ओर से की गई हड़ताल का नेतृत्व कर रहे मोहम्मद जुबेर ने कहा कि टारगेट कम न करने तक हड़ताल जारी रहेगी। उधर, कंपनी के मैनेजर सुभाष बचकैयां का आरोप है कि कंडक्टर ठीक तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। वे बीच में पैसा बचाते हैं, इस कारण कंपनी को घाटा हो रहा है। जहां तक टारगेट का मामला है दो दिन से करीब 40 कंडक्टरों ने हमें विभिन्न रूट पर एक-एक हजार रुपए से ज्यादा पैसा लाकर दिया है।
नहीं दी थी सूचना
हड़ताल की सूचना कंडक्टरों ने मंगलवार रात तक भी बस प्रबंधन को नहीं दी थी। इस कारण यात्री सुबह से ही रोजाना की तरह अपने-अपने स्टॉप पर पहुंच गए पर बसें नहीं आईं। हालांकि बीसीएलएल और केपिटल रोडवेज द्वारा विभिन्न रूट पर चार दर्जन से ज्यादा बसों का संचालन होता रहा।
सीजीएम से शिकायत
बस हड़ताल के बाद प्रसन्ना कंपनी के सीजीएम पीपी निमसरकार की ओर से सहायक लेबर कमिश्नर के यहां शिकायत की गई। हड़ताल करने में भूमिका निभाने वाले मोहम्मद जुबेर समेत आधा दर्जन कंडक्टर-ड्राइवर को नोटिस जारी कर दिया गया। इसमें हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए गाड़ियां चलाने की बात कही है।
परमिट देने की अनुशंसा कर देंगे
हड़ताल के लंबे खिंचने पर लो-फ्लोर बसों के रूट पर मिनी बसों को परमिट देने की अनुशंसा आरटीओ से की जा सकती है। आरटीओ अजय गुप्ता ने बताया कि लोग परेशान न हों, इसका ध्यान रखा जाएगा। यदि हड़ताल से दिक्कत हुई तो लो-फ्लोर वाले रूटों पर मिनी बसों को परमिट देनेे की अनुशंसा प्रशासन को कर दी जाएगी।
