इंदौर। प्राइवेट स्कूलों के चंगुल से पेरेंट्स को बचाने शुरु हुआ नईदुनिया का अभियान अब जोर पकड़ गया है। प्रदेश के ज्यादातर कलेक्टरों ने माना है कि यह अभियान सही दिशा में हैं और स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें ही पढ़ाई जानी चाहिए। करीब एक दर्जन से ज्यादा कलेक्टर तो इस संदर्भ में निर्देश भी जारी कर चुके हैं।
साथ ही उस पर अमल की समीक्षा करवाने और शिकायत मिलने पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं। करीब 8 जिलों के कलेक्टर अगले कुछ दिनों में इस बारे में औपचारिक आदेश जारी करने की बात कह रहे हैं।
अनूपपुर व देवास कलेक्टरों ने जल्दी ही बैठक बुलाने का आश्वासन दिया है। निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें ही अनिवार्य करने को लेकर स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी भी कलेक्टरों को अधिकार संपन्न मानते हैं।
28 की हां, इंदौर कलेक्टर का रुख स्पष्ट नहीं
निर्देश जारी कर चुके : जबलपुर, बालाघाट, बैतूल, दतिया, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, सतना, सीहोर, शहडोल, श्योपुर, शिवपुरी, टीकमगढ़, उमरिया, अशोकनगर, खंडवा, धार, रतलाम, बुरहानपुर, आलीराजपुर, नीमच।
कुछ दिनों में आदेश जारी करेंगे : भिंड, छतरपुर, गुना, रायसेन, विदिशा, खरगोन, छिंदवाड़ा।
बैठक के बाद फैसला करेंगे : अनूपपुर, देवास, सीधी (कलेक्टर के छुट्टी से लौटने इंतजार)।
शासन से सीधे निर्देश मिलने या फिर विचार की बात कहने वाले : भोपाल, ग्वालियर, दमोह, हरदा, कटनी, मंडला, मुरैना, सागर, सिवनी, शाजापुर, बड़वानी, मंदसौर।
रीवा कलेक्टर इस तरह के आदेश जारी कर चुके हैं, लेकिन स्कूल संचालकों ने आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट की शरण ली है।
एनसीईआरटी बुक्स की अनिवार्यता भी कलेक्टरों पर ही निर्भर
निजी सीबीएसई स्कूलों में केवल एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाए जाने के शिवपुरी कलेक्टर के आदेश के बाद ज्यादातर कलेक्टर इससे सहमत दिखे तो कुछ कलेक्टरों के सुर इस मामले में अलग हैं। झाबुआ और उज्जैन कलेक्टर निजी स्कूल की स्वायत्तता बनाए रखने के पक्ष में हैं और मानते हैं कि क्वालिटी एजुकेशन के लिए अभिभावकों और स्कूल को किताबें तय करना चाहिए।
हालांकि बड़े शहरों में जबलपुर को छोड़कर हर जगह इस आदेश को लेकर संशय की स्थिति है। इंदौर कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ग्वालियर कलेक्टर रहते यह आदेश जारी कर चुके हैं लेकिन इंदौर को लेकर मन नहीं बना पाए हैं। राजधानी भोपाल के कलेक्टर निशांत वरवड़े एक माह की छुट्टी पर हैं और उसके बाद इस बारे में कोई फैसला लिए जाने की बात कह रहे हैं।
कलेक्टरों के अलग सुर
झाबुआ- कलेक्टर बी. चंद्रशेखर
झाबुआ जिले में इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया जा रहा है। मुझे नहीं लगता यह आदेश ठीक है। निजी संस्थाओं की अपनी स्वायत्तता है। उन्हें धारा 144 में इस प्रकार से बाध्य नहीं किया जा सकता।
उज्जैन- कलेक्टर कवीन्द्र कियावत
अगर हमें क्वालिटी एजुकेशन देना है तो यह बच्चों के अभिभावकों पर छोड़ देना चाहिए कि वे उन्हें क्या पढ़वाना चाहते है। पालक स्कूल मैनेजमेंट कमेटी में शामिल होते ही है, जो कि पाठ्यक्रम तय करती है। निजी स्कूल पालकों पर एक ही दुकान से गणवेश व किताबें खरीदने के लिए दबाव न बनाए, उसके लिए धारा 144 पहले से ही जिले में लागू कर दी गई है।
जबलपुर- कलेक्टर शिवनारायण रुपला
हमने पहले ही जिले के सभी स्कूलों को सीबीएसई से निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार ही किताबें सूची में शामिल करने कहा है। साथ ही अभिभावकों को किसी खास दुकान से कॉपी- किताब या ड्रेस खरीदने के लिए दबाव नहीं बनाने निर्देशित किया है।
कलेक्टरों को हैं अधिकार
कलेक्टरों को अधिकार है कि वह आईपीसी की धारा 144 का इस्तेमाल कर अपने क्षेत्र में आने वाले स्कूलों में एनसीआरटीई की पुस्तकें अनिवार्य कराएं। पिछले साल भी धार, देवास और उज्जैन कलेक्टरों ने इसी धारा के तहत कार्रवाई की थी। मैं अभी बाहर हूं आकर अपने सामने एक बार फिर सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी करवाता हूं। हम निजी स्कूलों के हाथों अभिभावकों को लूटने नहीं देंगे।
दीपक जोशी, राज्यमंत्री स्कूल शिक्षा विभाग