बेंगलुरू। IAS रवि पर मौत के बाद चरित्रहीनता का आरोप लगा चुकी कर्नाटक सरकार की एक और डर्टी पॉलिटिक्स सामने आई है। उसने केन्द्र के प्रेशर में आकर सीबीआई जांच की सिफारिश तो की लेकिन 3 माह में जांच पूरी करने की शर्त लगा दी। इस शर्त के चलते सीबीआई ने जांच करने से इंकार कर दिया है।
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने विपक्ष और रवि के परिजनों के भारी दवाब के बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की थी। कर्नाटक सरकार ने साथ ही अपनी आधिकारिक सिफारिश में जांच तीन महीने में पूरी करने को कहा था। सीबीआई ने कहा कि जांच के मामले में राज्य सरकार शर्तें नहीं लगा सकती है।
सीबीआई ने कार्मिक विभाग को लिखा है कि कर्नाटक सरकार की सिफारिश दोषपूर्ण है, क्योंकि इसमें तीन महीने में जांच की बात कही गई है। सीबीआई ने लिखा की समय सीमा तय किए जाने से वह इस केस को स्वीकार नहीं कर सकती है।
गौरतलब है कि आईएएस डीके रवि 16 मार्च को अपने फ्लैट में मृत पाए गए थे। शुरुआती जांच के बाद पुलिस ने इसे खुदकुशी का केस बताया था। इस पर रवि के परिजनों ने ऐतराज जताया था और मौत की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। विपक्ष ने भी इसे मुद्दा बनाकर मामले को तूल दे दिया था।
देशभर में IAS रवि के समर्थन में प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया था। नेशनल इश्यू बन जाने के बाद प्रेशर में आई सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश तो की लेकिन उसमें भी राजनीति कर दी। अब जबकि सीबीआई ने जांच से इंकार कर दिया है तो एक बार फिर कर्नाटक सरकार कटघरे में आ गई है। कर्नाटक सरकार पर माफिया से मिले होने के आरोप लग रहे हैं। सोशल मीडिया पर कर्नाटक सरकार की जबर्दस्त धुलाई शुरू हो गई है।
अब देखना यह है कि क्या कर्नाटक सरकार 3 महीने की शर्त हटाती है या यह स्पष्ट कर देती है कि IAS रवि की मौत के मामले में उसने पूरे देश को उल्लू बनाया।
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