भोपाल। सरकारी स्कूलों के निजीकरण के प्रस्ताव से नाराज शिक्षक राज्य सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इस लड़ाई में प्रदेश के तमाम सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारी शिक्षकों का साथ देंगे। कर्मचारियों ने 'मप्र संयुक्त शिक्षक मोर्चा' गठित किया है, जो शुक्रवार को आंदोलन की रणनीति तय करेगा।
मप्र शिक्षा अधिकारी मंच के आह्वान पर गुरुवार को मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ कार्यालय में आयोजित कर्मचारियों की बैठक में राज्य के मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित हुए। इन्होंने शिक्षा के निजीकरण के प्रस्ताव पर ऐतराज जताया।
यहां मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अरुण द्विवेदी, मप्र राज्य कर्मचारी संघ के महामंत्री रमेश शर्मा, मप्र लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ के महामंत्री एमपी द्विवेदी, मप्र स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष एसबी सिंह, एलएन कैलाशिया, शिक्षा अधिकार मंच के प्रो.अनिल सद्गोपाल, लज्जााशंकर हरदेनिया आदि ने अपनी बात रखी और एक स्वर में सरकार के इस मंसूबे को पूरा नहीं होने देने की शपथ ली। कर्मचारियों ने कहा कि इसके लिए प्रदेश बंद करने की नौबत आई, तो वह भी करेंगे, लेकिन सरकारी स्कूलों का निजीकरण नहीं होने देंगे। वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि लड़ाई ऐसी लड़ेंगे। जिसका परिणाम सामने आए।
मोर्चे में सभी शिक्षक संगठनों से दो-दो पदाधिकारियों के नाम लिए जाएंगे। फिलहाल अरुण विश्वकर्मा, प्रभाकर चौधरी, सुभाष दीक्षित, आशुतोष पांडेय, अरविन्द भूषण श्रीवास्तव, अभिषेक बैस, सतीश शर्मा, उपेन्द्र कौशल, जगदीश ठाकुर, सुभाष शर्मा, प्रवीण आर्य, अजय गवली, अरुण पुरोहित, हरिबाबू रघु, मसरत कुरैशी को संयुक्त मोर्चा मंडल में शामिल किया गया।