राकेश दुबे@प्रतिदिन। आज फिर अश्मीर चार जगह आतंकियों ने आतंक फैलाया | सच में जो आतंक फैलाते हैं वे किसी खास तबके से आते हैं। भारत की तो छोड़िए पाकिस्तान में गिरजाघर पर बमबारी करने वाले कौन थे? पता नहीं यह कैसा जिहाद है और इससे क्या हासिल होने वाला है।हर मुसलमान और हर हिंदू आतंकी नहीं है। इसलिए ऐसी घटना या दुर्घटना की सजा निर्दोषों को न दी जाए, और जो दोषी हैं, फिर चाहे वे किसी भी धर्म के अनुयायी क्यों न हों, उन्हें बख्शा न जाए।
सच तो यह है कि जब हिंदू पर हमला होता है या फिर भारत में बाहर के आतंकी आते हैं तो हमारी अंगुली एक ही तरफ उठती है। कारण साफ है। भारत का विभाजन होकर नया देश बना तो मजहब के नाम पर, और जो शेष देश बचा वह रहा बहुधर्मी। बाहर के आतंकी धर्म की दुहाई देकर अपने मजहब के भारतवासियों को बरगलाते हैं। लोग मानने लगे हैं कि हर मुसलमान आतंकी नहीं होता, पर वे प्रश्न यह उठाते हैं कि जो यह घिनौना कृत्य करता है वह मुसलमान ही क्यों होता है। और उसको दंड देते समय अपराधी के हमधर्मी उसका ही पक्ष क्यों लेते हैं? अब हिंदू धर्म के कतिपय अनुयायी भी कुछ-कुछ वैसा ही करने लगे हैं जैसा अन्य धर्म के मानने वाले आतंकवादी करते आए हैं। उनमें आक्रोश होना स्वाभाविक है, मगर सही नहीं। क्योकि इनमे से कुछ हाथ मस्जिदों पर तो नहीं, पर गिरजाघरों पर उठने लगे हैं- शायद बाबरी ढंचाचा एक अपवाद था। यह गुस्सा किस बात का परिचायक है? शायद इस बात का कि उन्होंने हमें गुलाम बनाए रखा। उनके आने से पहले इस्लाम धर्म को मानने वाले आक्रांताओं ने खून-खराबा किया, पर बाद में वे भी यहीं के होकर रह गए और उन्हें भी अंगरेजों की मार खानी पड़ी और वे भी अन्य भारतीयों की भांति कंधा से कंधा भिड़ा कर अंगरेजों से लड़े और शहीद भी हुए। सत्ता के लोभ के कारण जिन्ना- जो मुसलमान कम और अंगरेज ज्यादा थे- ने गद्दी हासिल करने के लिए बहुत कुछ अशोभनीय भी किया। भारी रक्तपात से हमारे स्वतंत्र राष्ट्रों की शुरुआत हुई। पर इसका अर्थ यह नहीं कि अब इतने वर्षों बाद हम अपने गुस्से को इस प्रकार जाहिर करें।
जो लोग यह कहते आए हैं कि आतंकी की कोई जाति नहीं होती, वे इस बात से हैरान हैं कि गिरजाघरों को तहस-नहस करने वाले पहचान से हिंदू हैं। उनके इस कुकृत्य की निंदा करने वाले लोगों में ढेरों हिंदू भी शामिल हैं। हिंदू की सहिष्णुता कहां खोई जा रही है?
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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