नई दिल्ली। पैंतीस की उम्र में ही विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनने के उत्साह और ऊर्जा से लबरेज भाजपा के स्थापना दिवस समारोह में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने पुनर्निर्माण का संदेश दिया और इसी आधार पर खुद को कांग्रेस से अलग भी बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पुराने को बदलने की बात कहती है जबकि भाजपा का मानना है कि 'जो पुराना था वह श्रेष्ठ था। इसलिए जो नया श्रेष्ठ है उसे स्वीकार कीजिए और देश को आगे ले जाइए।' स्थापना दिवस पर भाजपा के संस्थापकों में शामिल रहे विजय कुमार मल्होत्रा को सम्मानित भी किया गया। हालांकि, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की गैर मौजूदगी चर्चा में रही। बाद में शाह ने हर महीने के पहले और तीसरे सोमवार को कार्यकर्ताओं से मिलने का कार्यक्रम भी शुरू कर दिया।
सोमवार को भाजपा के 35वें स्थापना दिवस के अवसर पर शाह ने कार्यकर्ताओं को कैरियर सोच से दूर रहकर निश्चल भाव से पार्टी और समाज के लिए काम करने की सलाह दी वहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार देश के विकास, गरीबों, मजदूरों, वंचितों के लिए काम कर रही है, लेकिन विपक्षी दल भ्रम फैला रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं को विपक्षी दलों के इस अभियान से लड़ना होगा। कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि मोदी सरकार के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का जवाब दें और जनता को सच्चाई बताएं। शाह ने आप पर भी कटाक्ष किया और कहा कि कुछ लोग सादगी और आम आदमी होने की बात करते हैं। भाजपा में ऐसे नेताओं की लंबी कतार रही है जिनके पास कभी अपना खाता तक नहीं था। 'त्याग को भुनाने की चेष्टा नहीं करनी चाहिए। श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर नरेंद्र मोदी तक और दीन दयालजी से लेकर आज के हजारों कार्यकर्ताओं ने अपने जीवन का लक्ष्य इसी तप को बनाया है।'
शाह ने अपने भाषण में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, नानाजी देशमुख, सुंदर सिंह भंडारी, महावीर त्यागी, कुशाभाउ ठाकरे जैसे पुराने नेताओं का भी जिक्र किया। आडवाणी और जोशी के कार्यक्रम से गैर मौजूदगी की चर्चा रही। हालांकि, आडवाणी के नजदीकियों का कहना था कि उन्हें कार्यक्रम की औपचारिक सूचना नहीं दी गई थी। ऐसे कार्यक्रमों की पहले औपचारिक सूचना दी जाती थी या फिर परिपत्र जारी होता था।
बाद में शाह ने कार्यकर्ताओं से संवाद प्रक्रिया तेज करने की भी शुरुआत कर दी। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले परिपत्र जारी कर सभी कार्यकर्ताओं को शाह की ओर से खुला आमंत्रण दिया गया था। उसमें कहा गया था कि हर महीने के पहले और तीसरे सोमवार को शाह दिल्ली मुख्यालय में मौजूद रहेंगे और कार्यकर्ता बिना समय लिए उनसे मिल सकेंगे।