प्रदेश के सवा दो लाख संविदा कर्मचारी, अधिकारी रहे हड़ताल पर

भोपाल। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के आव्हान पर मप्र शासन के विभिन्न विभागों और परियोजनाओं में कार्यरत सवा दो लाख संविदा कर्मचारी /अधिकारी मप्र सरकार द्वारा 22 जून 2013 को संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए बनाई गई नीति को लागू करवाने सहित अपनी पांच सुत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर रहे। राजधानी भोपाल में यह धरना सेकेण्ड बस स्टाप अम्बेडकर मैदान पर महासंघ के प्रदेष अध्यक्ष रमेश राठौर के नेतृत्व में दिया गया।


गौरतलब है कि विधान सभा चुनाव के पूर्व तात्कालीन मप्र सरकार ने जीएडी विभाग से प्रदेश के सवा दो लाख संविदा कर्मचारियों को नियमित किये जाने के लिए एक नीति तैयार करवाई थी। विधान सभा चुनाव 2013 के पूर्व में भी प्रदेश के सभी संविदा कर्मचारी अधिकारी आंदोलनरत थे उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव जी ने कर्मचारियों से आंदोलन नहीं करने पर नियमित किये जाने का आश्वासन दिया था। उस समय सभी संविदा कर्मचारी, अधिकारियों ने अपना आंदोलन तथा प्रस्तावित रैली वापस ले ली थी। नीति मंत्रीपरिषद की बैठक में जाती उससे पहले आचार संहिता लग गई। इस नीति के तैयार होने के बाद जीएडी विभाग ने सभी विभागों को पत्र लिखकर संविदा कर्मचारियों, अधिकारियों की जानकारी मांगी थी। इसके लिये विभाग ने 6 स्मरण पत्र भी जारी किये थे। तीसरी बार सरकार बनने के बाद जीएडी विभाग ने वह नीति ठण्डे बस्ते में डाल दी।


महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने अपने उद्बोधन में कहा कि संविदा कर्मचारियों के प्रति राज्य सरकार का व्यवहार अंग्रेजों के समान है। संविदा नौकरी युवाओं के लिए एक अभिशाप बन गई है। सरकार संविदा कर्मचारियों से काम तो नियमित कर्मचारियों से ज्यादा लेती है लेकिन वेतन और सुविधाएं आधी देती है। सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों को अपनी सोच बदलना चाहिए संविदा नौकरी को अभिशाप नहीं वरदान में बदलना चाहिए। यदि सरकार यह निर्देश लागू करे कि संविदा कर्मचारी नियमित कर्मचारी नहीं होता है इसलिए उसे नियमित कर्मचारी से दुगना वेतन दिया जाए तो यह संविदा नौकरी जो अभी अभिषाप है वह वरदान में बदल जायेगी लेकिन इसके लिए सरकार और सरकार में बैठे अधिकारियों को अपनी सोच बदलना होगी । महासंघ के प्रदेष अध्यक्ष रमेष राठौर ने कहा कि संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए जी.ए.डी. के द्वारा बनाई गई नीति को लागु करना चाहिए ।  संविदा कर्मचारियों को समान कार्य समान वेतन दिया जाना चाहिए| 


महासंघ के रमेष राठौर ने कहा कि जब सरकार बिना किसी चयन प्रक्रिया और माप दण्ड के सरंपचों के हाथों से नियुक्त हुये गुरूजियों, पंचायत कर्मियों, षिक्षाकर्मियो को नियमित कर सकती है तो संविदा कर्मचारी जो कि विधिवत् चयन प्रक्रिया और सक्षम प्राधिकारियों के द्वारा नियुक्त हुये हैं उनको नियमित क्यों नहीं कर सकती। 
धरने में आए संविदा कर्मचारियों ने अपनी पीढ़ा बताई कि संविदा कर्मचारियों का शोषण किस प्रकार किया जा रहा है । 


इस प्रकार होता है संविदा कर्मचारियों का शोषण:- 
(1)  संविदा कर्मचारियों को बिना किसी विभागीय जांच के हटा दिया जाता है , कलेक्टर द्वारा संविदा कर्मचारियों को हटाने के पहले उसके मूल विभाग से अनुमति नहीं ली जाती । विभाागों ने अपने अधिकारों का विकेन्द्रीकरण कलेक्टरों और मुख्यकार्यपाल अधिकारियों को कर दिया है । परियोजना अधिकारियों की सांठ-गांठ कलेक्टरों और मुख्यकार्यपालन अधिकारियों से होने के कारण यदि संविदा कर्मचारी / अधिकारी, परियोजना अधिकारियों की अनुचित बात नहीं मानते हैं तो वो कलेक्टरांे और मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को गुमराह कर संविदा कर्मचारी की सेवा समाप्त करने के लिए नस्ती पर अनुमोदन करवाकर उसकी सेवा समाप्त कर देेते हैं । अभी हाल ही में जबलपुर के मनरेगा विभाग में कार्यरत प्रोग्राम अधिकारी ऋतु तिवारी को मुख्यकार्यपालन अधिकारी ने मानिसक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। और अनुचित कहना नहीं मानने पर उसकी सेवाएं समाप्त करवा दी । 
 (2) संविदा बढ़ाने के लिये परियोजना अधिकारी को देनी पड़ती है रिष्वत । हर साल संविदा बढ़ती है, संविदा बढ़ाने नाम पर अधिकारियों के द्वारा मनमर्जी के काम करवाये जाते हैं और संविदा बढ़ाने के नाम पर अधिकारी ब्लेक मेल करते हैं जिलों में संविदा कर्मचारियों को संविदा बढ़वाने के लिए एक - एक माह का वेतन लिया जाता है संविदा बढ़ाने के नाम पर संविदा कर्मचारी का आर्थिक, मानसिक, शारीरिक शोषण होता है। 
(3)  संविदा कर्मचारी की यदि मृत्यु हो जाए तो विभाग की और से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती संविदा कर्मचारी आपस में चंदा करके उसकी अंन्त्येष्टी करते हैं तथा परिवार की आर्थिक मद्द करते हैं।
(4) संविदा कर्मचारी नियुक्ति से रिटायर्डमेंट तक एक ही पद पर कार्य करते हैं किसी प्रकार की पदोन्नति, समयमान वेतनमान, नहीं दिया जाता।  
(5) केन्द्र और राज्य सरकार से विभाग को मिलने वाला पैसा भेले ही लैप्स हो जाए पर गृह भाड़ा भत्ता, चिकित्सा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, अर्जित अवकाष, चिकित्सा अवकाष, एक्सग्रेसिया नहीं दिया जाता  ।  
(6) संविदा कर्मचारी ओवर ऐज हो गये हैं बीस साल बाद भी संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए सरकार ने कोई नीति नहीं बनाई है । वहीं दूसरी और सरकार ने बिना किसी चयन प्रक्रिया के भर्ती हुये गुरूजियों, षिक्षाकर्मियों, पंचायत कर्मियों जिनकी नियुक्ति सरंपचों, ग्राम समुदायों ने की थी को बिना किसी परीक्षा लिये ही नियमित कर दिया । 
स्ंविदा कर्मचारी /अधिकारियों की प्रमुख मांगें निम्न लिखित है:- 
(1) म.प्र. के सामान्य प्रषासन विभाग (जी.ए.डी.) द्वारा संविदा कर्मचारियों को नियमित किये जाने के लिए 22 जून 2013 को एक नीति तैयार की थी उस नीती को लागु किया जाए ।  
(2) म.प्र. सरकार लगातार नई सीधी भर्ती कर रही है । सरकार सीधी भर्ती बंद कर उन पदों पर सबसे पहले संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए । सीधी भर्ती में प्राथमिकता दी जाए । अनुभव के अंक दिये जायें । आयु सीमा में छुट प्रदान की जाए । 
(3) समान कार्य समान वेतन दिया जाए संविदा कर्मचारी, नियमित कर्मचारियों के समान कार्य करते हैं तो संविदा कर्मचारियों के समान ही  गृह भाड़ा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, चिकित्सा अवकाष, अनुकम्पा निुयक्ति, चिकित्सा अवकाष, एक्सग्रेसिया, वाहन भत्ता, समय - समय पर बढ़ने वाला मंहगाई भत्ता दिया जाए। 
(4) संविदा कर्मचारी /अधिकारी की संविदा समाप्त करने के पूर्व उसको अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए । संविदा समाप्त करने से पूर्व उसकी विभागीय जांच की जाना चाहिए । 
(5)  म.प्र. सरकार ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, म.प्र. विघुत वितरण कम्पनी इंदौर के 11 इंजीनियर, म.प्र. योजना आर्थिक सांख्यिकी विभाग के 212 संविदा कर्मचारी, राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिषन के 400 कर्मचारी, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के 150 तकनीकी सहायकों, जबलपुर मनरेगा की परियोजना अधिकारी की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं । इन संविदा कर्मचारियों को पुनः बहाल किया जाए।

धरने को कर्मचारी नेता  सुधीर नायक, रमेष चंद्र शर्मा, जितेन्द्र सिंह, अजय श्रीवस्तव (नीलू),साबिर अली, वीरेन्द्र खोंगल,अरूण द्विवेद्वी,महेन्द्र शर्मा, एम.पी. द्विवेद्वी, अनिल वाजपेयी, राजेष तोमर, गजेन्द्र कोठारी, बलवंत रघुवंषी, आर.के. उपाध्याय, एस.बी. सिंह, श्याम सुंदर शर्मा, विजय श्रवण, आदि ने सम्बोधित किया ।  

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