पढ़िए कांग्रेस के आडियोलीक पर कलेक्टर का जवाब

भोपाल। कांग्रेस नेता डॉ. गोविंद सिंह और भिंड कलेक्टर के बीच तनातनी अब राजधानी तक आ पहुंची है। डॉ सिंह ने आज राजधानी में भिंड कलेक्टर का एक आडियोटपे जारी किया, जिसमें वो किसानों को गालियां दे रहे हैं।

कांग्रेस नेता डॉ. गोविंद सिंह ने भिंड में किसानों की आत्महत्या के मामले में कलेक्टर मधुकर आग्नेय को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस नेता ने सोमवार को यहां मीडिया के सामने एक ऑडियो टेप भी जारी किया, जिसमें किसानों की मौत के बाद भिंड कलेक्टर गंदी भाषा का इस्तेमाल करते सुनाई दे रहे हैं। कलेक्टर ने किसानों की मौत के बाद कहा था, कि वे पांच-पांच, छह-छह बच्चे पैदा कर लेते हैं।

डॉ. सिंह ने कहा कि, भिंड में किसानों की हालत खराब है। प्रशासन ने सिर्फ 15% नुकसान का आकलन किया है। किसान बर्बाद हो गए और कलेक्टर गाली बक रहे हैं।

ये रहा कलेक्टर का जवाब
भिंड कलेक्टर ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कहा, 'जो ऑडियो जारी किया गया है वो 4-5 मिनट का होगा। इसमें पूरी बात नहीं है। हमने सिर्फ यह कहा था कि, जिन किसानों के 4-5 बच्चे हैं, उन्हें आमदनी कम होने से परिवार का भरण-पोषण करने में परेशानी तो होगी। जहां तक फसलों के नुकसान का 15 प्रतिशत आकलन करने की बात है, तो हमने सर्वे कराया है। सब जगह शत-प्रतिशत नुकसान नहीं हुआ। मीडिया आकर देखे, कहीं जगह फसलें खड़ी हुई हैं।

हम हरेक किसान को मदद देंगे, लेकिन यह भी देखना होगा कि, किसका कितना नुकसान हुआ है। हमने शासन को रिपोर्ट सौंपी है। इसमें हमने 8500 किसानों के लिए 7 करोड़ रुपए की मदद मांगी है। दावे-आपत्तियों के बाद इसमें थोड़ी-बहुत और बढ़ोत्तरी हो सकती है। जहां तक किसानों की फसल खराब होने से मौतों की बात है, तो इनमें 3 तथाकथित सुसाइड और 2-3 हार्ट अटैक के केस हैं। अब हर मौत को फसलों से तो नहीं जोड़ना चाहिए। अभी एक ढाई साल के बच्चे की मौत हुई है। संभव है, उसे भी फसल खराब होने से जोड़ दिया जाए, जबकि वो किसान नहीं है। हमने रिकार्ड निकलवाया है। उसके पिता के नाम जरूर 2 बीमा जमीन है।'

अब पढ़िए कांग्रेस के आरोप
किसानों की सबसे बुरी स्थिति भिंड जिले में है। दो बार की ओला-बारिश से एक सैकड़ा से गांवों में चार हजार किसानों की खेतों में खड़ी फसलें तबाह हो गई, लेकिन प्रशासन यहां सर्वे का काम ही पूरा नहीं कर सका है। ऐसे में सर्वे सूची तैयार कर, दावे-आपत्तियों का निराकरण के बाद फायनल सूची तैयार करने व डिमांड राशि का प्रस्ताव तैयार करने में 15 दिन और लग जाएंगे। सर्वे में हो रही देरी से यहां तीन किसान फांसी लगाकर आत्महत्या कर चुके हैं और दो किसानों की सदमे से मौत हो चुकी है।

  1. अभिलाख सिंह, ऊमरी (भिंड), फांसी लगाकर आत्महत्या
  2. नरेंद्र भदौरिया, चरी कनावर (भिंड), फांसी लगाकर आत्महत्या
  3. सुंदर सिंह, चरी कनावर (भिंड), फांसी लगाकर आत्महत्या
  4. सुमंत सिंह नरवरिया, अढ़ोखर (भिंड), हार्टअटैक (सदमे) से मौत
  5. दीनदयाल जाटव, रनिया, (भिंड),
  6. देवेंद्र शर्मा, पचौरा-भितरवार (ग्वालियर), सदमे से मौत
  7. वृंदावनलाल, छीमका-डबरा (ग्वालियर), हार्टअटैक (सदमे) से मौत
  8. धापोबाई मांझी, झोपड़िया (श्योपुर), हार्टअटैक (सदमे) से मौत
  9. प्रेमशंकर नागर, ननावद (श्योपुर), हार्टअटैक (सदमे) से मौत
  10. रामसिंह, सोंठवा (श्योपुर), हार्टअटैक (सदमे) से मौत


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